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Jun 17, 2023

मूर्ति में श्रीकृण का दिल आज भी धड़कता है , भगवान जगन्नाथ कौन हैं ?

भारत की भूमि चमत्कारों और रहस्यों से भरी हुई है। देश में कई मंदिर में हैं जहां विज्ञान भी हैरान हो जाता है। आज इस वीडियो में ओडिशा के पुरी में स्थिति जगन्नाथ मन्दिर के बारे में बताने वाले हैं। उड़ीसा के पुरी में 7वीं सदी का बना महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर अलौकिक और रहस्यों से भरा है। इस भव्य मंदिर का इतिहास अपने आप में हैरान कर देने वाला है। माना जाता है, मंदिर में मौजूद मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण का दिल आज भी धड़कता है।

Jagannath temple Puri 

भगवान जगन्नाथ कौन हैं? ( WHO IS JAGANNATH GOD )

इस पावन मंदिर की महिमा का वर्णन मत्स्य पुराण में मिलता है। मत्स्य पुराण में  संकेत और प्रमाणों के आधार पर के मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बलभद्र और सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। 

जगन्नाथ मन्दिर का इतिहास ( HISTORY OF JAGANNATH )

अन्य मंदिरों की अपेक्षा जगन्नाथ मंदिर की अलौकिक मूर्तियां देखने को मिलती हैं। इस मंदिर में उपस्थिति मूर्ति अधूरी और लकड़ी से बनी हुई हैं। आपने कई मंदिरों में दर्शन किए होगें देखा होगा वहां की मूर्ति अष्ट धातु या पत्थर की होंगी लेकीन पुरी के इस मंदिर में लकड़ी की अधूरी मूर्ति हैं। किदवंती के अनुशार एक बार राजा इंद्रधुम्न के स्वप्न में श्री कृष्ण ने लकड़ी की मूर्ति बनाने के आदेश दिया। उस समय इंद्रधुम्न  मालवा के राजा थे । इंद्रधुम्न के आदेश के बाद लकड़ी की मूर्तियों का निर्माण करवाने के लिए समुंद्र में तैर रही लकड़ी को निकाल कर  विश्वकर्मा शर्त के साथ लकड़ी से मूर्ति का निर्माण करने लगे। विश्वकर्मा ने राजा से sart रखी जब में इस मूर्ति का निर्माण करूं तो मुझे कोई न देखे। विश्वकर्मा की शर्त के अनुशार मूर्ति को बनाने के लिए एक एकांतवास दे दिया जिस पर बाहर से ताला लगा दिया गया। मूर्ति निर्माण के दौरान बाहर आवाज आती थी एक दिन रहा को शंका होने पर ताला खुलवाकर देखा तो विश्वकर्मा अधूरी मूर्ति छोड़कर अंतर्ध्यान हो गए। भगवान विष्णु की इच्छा समझकर इन्हीं अधूरी मूर्तियों को मंदिर में विराजमान कर दिया । 

इन मूर्तियों में श्रीकृण का दिल आज भी धड़कता है। ( HEART OF KRISHNA )

उड़ीसा पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देश नहीं विदेश से भी भक्त दर्शन करने आते हैं । श्री कृष्ण के इस मंदिर के चमत्कार और रहस्यों के आगे विज्ञान भी फैल है। मान्यता के अनुशार जगन्नाथ मन्दिर की मूर्तियों में श्री कृष्ण का दिल आज भी धड़कता अलौकिक पदार्थ के रूप में धड़कता है। हर बारह साल में इस अलौकिक ब्रह्म पदार्थ को एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति में पुजारी की आंखों पर पट्टी बांधकर स्थापित किया है। उस समय पुरी में संपूर्ण लॉकडॉन के साथ अर्धसैनिक बलों का पहरा होता है। कई रिपोर्ट में जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने दावा किया है कि वह जिस दिव्य ब्रह्म पदार्थ को हाथ में पकड़ते हैं वह दिल की तरह उझलता हुआ महसूस होता है।  माना जाता है की इस ब्रह्म पदार्थ को देखने वाला व्यक्ति अंधा या फिर उसकी मौत हो सकती है।

जगन्नाथ मंदिर का रहस्य नम्बर 1

जगन्नाथ मंदिर खुद रहस्यों से भरा है। मन्दिर के चमत्कार में सबसे बड़ा चमत्कार ऊपर लगे ध्वज का है। महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हमेशा हवा की उल्टी दिशा में फहराता। इसे चमत्कार कहें या कुछ और क्योंकि आज तक इस का रहस्य विज्ञानिक भी नहीं ढूंढ सके।

जगन्नाथ मंदिर का रहस्य नम्बर 2 

अपने आप में चमत्कारों से भरे जगन्नाथ मंदिर की कला अजब है। इसे मंदिर का अजूबा कहें या चमत्कार। पुराने समय में बना भव्य मंदिर 4 लाख वर्ग फीट में फैला और ऊंचाई 214 फीट है। चमत्कार और रहस्य से भरे मन्दिर  के गुम्बद की छाया कभी धरती पर नहीं पड़ती।

जगन्नाथ मंदिर का रहस्य नम्बर 3

चमत्कार या पूर्वजों का ज्ञान 7 वीं सदी में बने जगन्नाथ पुरी मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन में कभी जंग नहीं लगा है। इस सुदर्शन को किसी भी दिशा से देखने पर हमेशा आपके सामने दिखाई देता है। चमत्कारिक सुदर्शन अष्ट धातुओं से मिलकर है। पुरी मन्दिर के ऊपर लगे सुदर्शन को नील चक्र कहते हैं।

जगन्नाथ मंदिर का रहस्य नम्बर 4

सामान्य समुंद्र के किनारे हवा दिन में समुंद्र से जमीन की तरफ और रात में जमीन से समुंद्र की तरफ चलती है। लेकिन जगन्नाथ मंदिर में इसके विपरीत हवा जमीन से समुंद्र की तरफ बहती रहती है। जो आज तक एक रहस्य बना है।

 जगन्नाथ मंदिर का चमत्कार 5

रहस्यों से भरा जगन्नाथ मन्दिर का एक और रहस्य आप जानकर अचरज में पड़ सकते हैं। वैसे तो पुरी का जगननाथ मंदिर नो फ्लाई जोन में आता है। जिसके ऊपर कोई हवाई जहाज नहीं उड़ सकता है लेकीन इस का सबसे बड़ा रहस्य इसके ऊपर कोई पंक्षी भी नहीं उड़ सकता है।

चमत्कार 6

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई पूरी के जगन्नाथ मन्दिर में है जहां एक साथ जहां एक साथ 20 लाख भक्त प्रसाद का भोग लगा सकते हैं । भक्तो को संख्या कम ज्यादा क्यों न हो प्रसाद की कभी कमी और एक भी दाना नहीं बचता। रसोई को पकने के लिए 500 कर्मचारी 300 सहयोगियों के साथ लगते है। रसोई में प्रसाद बनाने के लिए 7 वर्तन एक दूसरे के ऊपर रख कर भोजन पकाते है। प्रभु के चमत्कार से ऊपर के वर्तन का प्रसाद सबसे पहले सकता है।

सातवां चमत्कार 

महाप्रभु की महिमा अद्भुत और अकल्पनीय है। मान्यता और पुराणों में वर्णन के अनुशार आज भी समुंद्र की ध्वनि मंदिर परिसर में सुनाई नहीं देती। सिंहस्थ द्वार में एक कदम प्रवेश करने पर समुन्द्र से उठने वाली लहरों की ध्वनि सुनाई नहीं देती।

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