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Aug 1, 2023

Chamatkar : जहां होती है मनोकामना पूर्ण, पुजारी के आग्रह पर कुंड से निकलता है प्रसाद

भारत की भूमि चमत्कार और रहस्यों ( Miracle ) से भरी हुई है। जहां एक से बढ़कर एक चमत्कारिक और रहस्मयी मन्दिर ( wondrous and mysterious temple )देखने को मिलते हैं। यहां मंदिरों के रहस्य और चमत्कार के आगे, विज्ञान भी फैल हो जाता है। यह post बहुत रोमांचक होने वाला है। इस Post में अक्षरू देवी के चमत्कार और मंदिर के दिव्य और अलौकिक शक्ति के बारे में बताने वाले ( Tells about the miracles of Aksharu Devi and the divine and supernatural power of the temple ) हैं। साथ ही मंदिर से जुड़ी सच्ची घटना की कहानी भी बताएंगे। 

Aksharu mata mandir madiya
achhru mata mandir

मध्य प्रदेश के निवाड़ी रोड पर स्थित तहसील पृथ्वीपुर के पास मडिय़ा ग्राम से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित, अछरू माता का मंदिर बहुत चर्चित ( The temple of Achhru Mata is very popular ) है। अछरू मंदिर टीकमगढ़ ही नहीं वल्कि पूरे बुंदेलखंड ( Tikamgarh and all Bundelkhand ) में दूर दूर तक में चमत्कार ( Miracle ) के लिए जाना जाता है।


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यह मंदिर ही नहीं वल्कि यहां होने वाले चमत्कार किसी रहस्य से ( achhru mata temple miracle and mystery in hindi ) कम नहीं है। मंदिर में होने वाले चमत्कार के आगे विज्ञान भी नतमस्तक हो जाए।  अछरु माता मंदिर में एक ऐसा दिव्य कुंड ( Achru Mata Temple Divya Kund ) है, जो चमत्कार और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है, कुंड सदैव जल से भरा रहता है। हर साल नवरात्रि के अवसर पर ग्राम पंचायत की देखरेख में अछरू माता मेला ( Achhru mata temple fair ) लगता है। जहां हजारों की संख्या में भीड़ आती है। जिसमें दूर-दूर से लोग आकर माता के दरबार में मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि इस कुंड से माता अपने भक्तों को कुछ न कुछ प्रसाद के रूप में देती है। आस्था है, कुंड से निकलने वाला प्रसाद उन ही भक्तों को मिलता है, जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है।


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वास्तव में मंदिर में होने वाले चमत्कार आपको हैरान कर देने वाले हैं। जैसा कि आपको बताया मंदिर में कुंड की दिव्यता लोक प्रिय है। अछरूमाता मंदिर में मूर्ति नहीं वल्कि पूजारी के द्वारा माता के आग्रह करने के बाद दिव्य चमत्कार होता है। भक्तों की मन्नत करने के बाद मंदिर में मौजुद पूजारी, माता से प्रार्थना करते हैं। जिसके बाद जो हुआ वो हैरत एंगेज करने वाला होता है। माता के कुंड से प्रसाद के रूप में गरी, सूखे मेवे या कुछ अन्य निकलता है। जो एक चमत्कार और रहस्मय पहली है। 


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अक्षरु माता मंदिर का इतिहास

अक्षरु माता मंदिर का इतिहास 500 साल से भी पुराना है। किदवंती  और कहानियों के अनुशार अछरू माता मंदिर का इतिहास, यादव समाज के गौसेवक अछरू से जुड़ा हुआ है, जिन्हें माता रानी ने अपने दर्शन ही नहीं दिए, बल्कि उन्हें आज भी अछरू माता के नाम से जाना जाता है। 

    सुनी कथा और कहानियों के अनुशार अछरू नामक किसान की गाय और भैंस गुम हो गईं थीं, जिन्हें वह प्रतिदिन जंगल में चराने के लिए लाता था। अक्षरु किसान को भैंसों को ढूंढते-ढूंढ़ते लगभग एक महीना हो गया। किसान थक हार कर जंगल में एक पहाड़ी के ऊपर बैठ गया, प्यास के मारे उसके प्राण निकले जा रहे थे। अचानक एक दिव्य प्रकाश हुआ और देवी मां ने  कुंड में से निकल कर किसान को  दर्शन दिए। कुंड से प्रगट देवी ने किसान से कहा, इस कुंड में से पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो । इसके साथ ही माता ने किसान को उसकी भैंसों का पता भी बता दिया। अछरू नाम के किसान ने कुंड में से पानी पीकर अपनी प्यास को शांत किया। जब किसान ने कुंड की गहराई पता करने के लिए अपनी लाठी कुंड में डाली तो वो लाठी कुंड के अंदर चली गई,  अछरू कुंड में अपनी लाठी छोड़ कर, देवी के बताए स्थान पर गया । जहां उसे उसकी सारी भैंसे मिल गयीं साथ ही वो लाठी जो कुंड में छोड़कर आया था, वो लाठी भी उसी तालाब में मिली। यह देख अछरू यादव किसान देवी की जय जयकार करने लगा। अछरू किसान की यह घटना, लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। बताया जाता है  लोग इस स्थान पर आने लगे और लोगो की मनोकामनाएं पूर्ण होती चली गईं। भक्तों ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवा दिया और उस समय से आज तक मंदिर की पूरी देख रेख और पूजा पाठ होने लगा। आज भी इस मंदिर के चमत्कार के चर्चे चारों तरफ है।


Jul 17, 2023

जहां रस्सियों के सहारे लक्ष्मण जी ने पार की थी नदी, अब बन रहा देश का पहला कांच का पुल

लक्ष्मण झूला( laxman jhula ) उत्तराखंड ऋषिकेश शहर ( Rishikesh city ) में योगभूमि के नाम से विख्यात लक्ष्मण जूला ( Lakshman Jhula ), एडवेंचर के लिए विख्यात है। माना जाता हैं यहां कभी भगवान श्रीराम ( Shree Ram ) के भाई लक्ष्मण ने रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था। 

    उत्तराखंड का ऋषिकेश, टूरिस्ट ( Tourist ) पसंदीदा जगहों में से एक हैं। योगभूमि के रूप में विख्यात ऋषिकेश, उत्तराखंड के टूरिस्ट प्लेस में, टॉप लिस्ट में पहले नंबर ( Top firts city of Uttarakhand ) पर आता है। ऋषिकेश में आपको एडवेंचर करने के लिए कई सारी एक्टिविटी भी मिल जाएंगी, ऋषिकेश में कई विख्यात मंदिर भी हैं।

Lakshman jula
Laxman Jula

जहां रस्सियों के सहारे लक्ष्मण जी ने पार की थी नदी ( Lakshman Jhula )

ऋषिकेश के दो किनारों को जोड़ते दो पुल है। एक का नाम लक्ष्मण झूला, तो दूसरे का नाम है राम झूला। पर्यटकों एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए इन पुलों का  इस्तेमाल करते हैं। भले ही आप सोच रहे हों कि ये पुल कोई आम पुल हैं, लेकिन इसकी खासियत और इतिहास आपकी इस सोच को बदल देगा। लक्ष्मण झूला को इन दिनों बंद कर दिया गया है। पुल में आई दरारों ओर टूटती रस्सियों की वजह से इसे फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया और इसकी जगह पर कांच का नया पुल बनाया जा रहा है। 


पाकिस्तान में कितने हिंदु मंदिर ? पाकिस्तान में बचे मन्दिरों के अस्तित्व

देश का पहला कांच का पुल ( India first's Glass Bridge )

ये पुल भारत का पहला कांच का पुल होगा। इस कांच के पुल का नाम बजरंग सेतु होगा। इस झूले को मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जा रहा है, लेकिन पुराने लक्ष्मण झूले का इतिहास बहुत पुराना है। 



जूट से लेकर कांच तक के पुल का सफर

लक्ष्मण झूला ( Lakshman Setu )दो किनारों के बीच का सेतु था। पर्यटकों के लिए तो ये बहुत ज्यादा पसंदीदा स्थान था। दरअसल पहले यह जुलता पुल रस्सियों और फिर तारों का बना था।  गंगा नदी ( Ganga river ) के ऊपर बना यह पुल 450 फीट लंबा झूलता हुआ पुल, शुरू में जूट के रस्सों से बना था, लेकिन बाद में इसे लोहे की तारों से मजबूत बनाया गया। इस पर खड़े होकर आपको दूर तक मां गंगा का कलकलाता जल दिखाई देगा। अब इस पुल की जगह कांच के पुल ( Glass bridge ) का निर्माण हो रहा है। नई तकनीकी से लैस ये बनने वाला पुल और भी ज्यादा आकर्षक होगा। 


Jul 9, 2023

पाकिस्तान में कितने हिंदु मंदिर ? पाकिस्तान में बचे मन्दिरों के अस्तित्व

पाकिस्तान जहां आज भी मन्दिरों के अस्तित्व मौजूद है। ( Pakistan Historical Hindu temple ) इस Post में पाकिस्तान में मौजूदा मंदिरों के साथ ही आजादी के समय उपस्थित मन्दिरों के बारे में बताने वाले हैं। यह Post बहुत ही दिलचस्प होने वाली है|

    भारत- पाक विभाजन के समय पाकिस्तान की धरती के हिस्से में एक बड़ी संख्या में मंदिर मौजूद थे। लेकिन वर्तमान में मौजूद मन्दिरों की संख्या के आंकड़े, चौंकाने वाले हैं। यहां मंदिरो को तोड़कर उनके अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की गई।

Hindu temple Pakistan 

एक रिपोर्ट के अनुशार, विभाजन के समय पाकिस्तान के हिस्से में तकरीबन 428 मंदिर आए थे। पाकिस्तान में, शुरू से ही मन्दिरों के तोड़फोड़ की घटना सामने आती रहीं हैं। 90 के दशक में 406 मन्दिरों को तोड़कर उनकी जगह मस्जिद, रेस्टोरेंट, सरकारी स्कूल या सरकारी कार्यालय या आवास बना दिए गए। पाकिस्तान में हिंदू मन्दिरों के तोड़ने के बाद, वर्तमान समय में, पाकिस्तान में करीब 22 हिंदू मंदिर ही अस्तित्व में बचे हुए हैं। पाकिस्तान में बचे 22 मन्दिरों में से -  सिंध प्रांत में 11 , पंजाब में चार , पख्तुनख्वा में चार और बलूचिस्तान में तीन मंदिर बचे हैं। 


पाकिस्तान 2020 में मिले थे, विष्णु मंदिर के अवशेष

Vishnu Mandir in Pakistan


एक प्रतिष्ठित न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक , पुरातत्व विभाग की एक खोज के दौरान खुदाई करते समय पाकिस्तान के पश्चिम में 1300 वर्ष पुराने हिंदु मंदिर के अवशेष मिले थे। पुरातत्व की टीम ने अपनी रिपोर्ट में उस समय मिले अवशेष को विष्णु मंदिर के होने का दावा किया था। इस मंदिर के अवशेष खोज में इटली की पुरात्व टीम शामिल थी। 


पाकिस्तान में बचे 22 मंदिरों  जिसमें से, कई मन्दिरों में आज भी होती है पूजा ( HINDU TEMPLE PAKISTAN )

Biggest Hindu temple in Pakistan


पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों को मिटाने के लिए कई तरह की घटना सामने आती रहीं है। 90 के दशक के बाद 406 मंदिरो का अस्तित्व खत्म  कर दिया गया। इस समय पाकिस्तान में हिंदू आस्था से जुड़े 22 मन्दिर बचे हुए हैं। इन 22 मंदिरो में से कई मंदिर खंडहर, तो कई मंदिरो में आज भी पूजा अर्चना की जाती है।

        पाकिस्तान में मौजुद मंदिरो का इतिहास बहुत पुराना है। हिंदु आस्था से जुड़े पाकिस्तान में उपस्थित मंदिरों के प्रमाण,  पुराणों में मौजूद हैं। पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों में सबसे पहले हिंगलाज माता मंदिर आता है , उसके बाद रामदेवपीर मंदिर, बाबा बालाजी मंदिर, कृष्ण मंदिर लाहौर, उमरकोट शिव मंदिर, चूरियो जबल दुर्गामाता मन्दिर, चकवाल में कटासराज शिव मंदिर, कराची में पंचमुखी हनुमान मन्दिर, स्वामीनारायण मन्दिर करांची, सियालकोट का जगन्नाथ मंदिर , पेशावर का गोरखनाथ मंदिर शामिल हैं।


पाकिस्तान हिंगलाज माता मंदिर  ( HINGLAJ TEMPLE PAKISTAN )


Hinglaj Devi Temple Pakistan
Hinglag mata Mandir Pakistan


पाकिस्तान में हिंदुओ के प्रमुख मंदिरों में से हिंगलाज माता मंदिर, सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। 51 शक्तीपीठों में शामिल, हिंगलाज मन्दिर पर प्रतिवर्ष 2.5लाख से ज्यादा तीर्थयात्री भाग लेते हैं। हिंगलाज माता मंदिर पर पाकिस्तान की सबसे बड़ी हिंदू तीर्थ यात्रा होती है। 


रामदेव पीर मंदिर ( RAM DEV PIR TEMPLE PAKISTAN )


हिंगलाज माता मंदिर के बाद पाकिस्तान का सबसे प्रसिद्द रामदेव पीर मन्दिर है। इस मंदिर का निर्माण, पाकिस्तान सिंध प्रांत के टंडो अल्लाहार में 1859 में हुआ था। इस रामदेव पीर मन्दिर  पर तीन दिन का भव्य और पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा  मेला लगता है। 

Who was the largest Hindu temple?

कटासराज शिव मंदिर चकवाल ( KATAS RAJ TEMPLE CHAKWAL PAKISTAN )


पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में, नमक पर्वत श्रृंखला के बीच में कटासराज मन्दिर और कटाक्ष कुंड, पाकिस्तान में हिंदुओं का तीर्थ स्थल है। 5000 साल से मौजुद कटासराज मंदिर के साक्ष्य महाभारत काल से भी जुड़े हैं। कटासराज मन्दिर का इतिहास शिव और सती के वियोग का प्रतीक माना जाता है। कटाक्ष कुंड के बारे में कहा जाता है की,  यहां मौजूद कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंशुओ से बना है।

Katasraj temple pakistan in hindi


पंचमूखी हनुमान मन्दिर कराची ( PANCHMUKHI HANUMAN TEMPLE KARANCHI )


पाकिस्तान के कराची के इस्लामकोट में एक मात्र इकलौता राम मंदिर है। जिसे पंचमुखी हनुमान मन्दिर भी कहा जाता है। इस्लामकोट के पंचमुखी हनुमान मन्दिर में राम और भक्त हनुमान के साक्ष्य 1500 साल पुराने माने जाते हैं। 


 नरसिंह मन्दिर पाकिस्तान  ( NARSINGH TEMPLE PAPISTAN )


धार्मिक किदवंतियों के अनुसार भक्त प्रहलाद द्वारा निर्मित  नरसिंह मंदिर , भगवान विष्णु को समर्पित है। पाकिस्तान के मुल्तान शहर में मौजुद मन्दिर, प्रह्लादपुरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है,  नरसिंह भगवान ने, यहीं हिरण्यकश्यप का वध किया था।



सियालकोट का जगन्नाथ मंदिर या शवला तेज सिंह मन्दिर 


हिंदू कालीन सभ्यता के प्रमाण देता सियालकोट का जगन्नाथ मंदिर भव्य और पाकिस्तानी हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। विभाजन के बाद इस मंदिर को दर्शन के लिए बंद कर दिया गया था। बाद में हिंदू पाकिस्तानी नेताओं  के हस्तक्षेप के बाद, पाकिस्तान सरकार के द्वारा जगन्नाथ मंदिर को खोल दिया गया। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित जगन्नाथ मंदिर में 2007 में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति स्थापित की गई। 

shivala teja singh temple
shivala teja singh temple

कराची का स्वामीनारायण मन्दिर

पाकिस्तान के कराची में स्थित श्री स्वामीनारायण मन्दिर भव्य और सुन्दर है। वर्तमान में इस मंदिर को पाकिस्तानी धर्मशाला के रुप में इस्तेमाल कर रहे हैं।


लाहौर का कृष्ण मंदिर ( KRISHNA MANDIR LAHOUR )

विभाजन के बाद पाकिस्तान में कई संख्या में कृष्ण मंदिर मौजुद थे। वर्तमान में बचे कृष्ण मन्दिर में से एक मन्दिर कराची में है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां हिंदू भक्तों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की संख्या दिन प्रति दिन कम होती जा रही हैं। इमरान सरकार ने कई हिंदू मंदिरों के जीर्णोउद्वार के लिए कदम उठाए थे। लेकिन आज भी पाकिस्तानी हिंदू मंदिरों पर हमले किए जाते हैं। 


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