दुर्गा की 51 शक्ति पीठों में हिंगलाज देवी मंदिर ( Hinglaj devi temple ) पाकिस्तान में सैकड़ों सालों से है। बलूचिस्तान की संकीर्ण घाटी की पहाड़ी गुफा के अंदर बना हिंगलाज मंदिर पाकिस्तान ( Pakistan First's hindu temple ) में सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। हिंगलाज गुफा में विराजमान देवी सती का यह मंदिर हिंगौल नदी के तट पर , मकराना रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की श्रृंखला के अंत में बना है। ( Hinglag mata Temple in pakistan history in hindi ) How to reach Hinglaj Devi temple in Pakistan from India
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Hinglaj मंदिर, एक छोटी प्राकृतिक गुफा ( cave of hinglaj devi temple) में बना हुआ है। जहाँ एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। शिला सिंदूर, जिसे संस्कृत में हिंगुला कहते है, से पुता हुआ है।
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हिंगलाज के आस-पास, गणेश देव, माता काली, गुरुगोरख नाथ दूनी, ब्रह्म कुध, तिर कुण्ड, गुरुनानक खाराओ, रामझरोखा बेठक, चोरसी पर्वत पर अनिल कुंड, चंद्रगोप, खारिवर और अघोर पूजा जैसे कई अन्य भी पूज्य स्थल हैं।
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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त की लारी तहलीस में हिंगलाज माता का शक्ति पीठ, कराची से करीब 250 किलो मीटर की दूरी पर, पहाड़ियों के बीच में स्थित है। हिंगलाज माता को यहां हिंगुला माता या नानी का मंदिर भी कहते हैं। Hinglaj Devi, Hingula Devi and Nani Mandir आज भी भारत के गुजरात, राजस्थान, पंजाब और पूरे पाकिस्तान से श्रद्धालू यहां आते हैं। नवरात्रि के अवसर पर हिंगलाज देवी मेला लगता है। यहां तक कि हिंगलाज माता के भक्तों में पाकिस्तान के मुसलिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। वो लोग इस मंदिर को नानी का मंदिर और मां दुर्गा को बीबी नानी कहते हैं।
Hinglaj Temple pakistan image |
पाकिस्तान में शक्ति पीठ की पौराणिक कथा ( Hinglaj mata mandir pakistan )
मां दुर्गा के शक्ति पीठों के बारे में आप सबने सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है, कि इन शक्ति पीठों में से एक पाकिस्तान में भी है। आज भी वहां मां दुर्गा का पूजन होता है। पौरिणिक कथा के अनुसार जब माता सती के अग्नि कुंड में समा जाने के बाद, महादेव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे। किदवंती के अनुशार विष्णू ने महादेव के क्रोध को कम करने के लिए माता के मृत शरीर पर सुदर्शन चक्र चला दिया, जहां जहां माता सती के अंग गिरे, उन स्थानों पर शक्ति पीठ की स्थापना हुई। इनमें से ही मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है हिंगलाज माता शक्ति पीठ । मान्यता है कि यहां हिंगलाज में माता सती का ब्रह्मरंध्र अर्थात सिर गिरा था। तब से यहां हिंगलाज माता के शक्ति पीठ की स्थापना हुई है। इस शक्ति पीठ का वर्णन शिव पुराण, देवी भगवती पुराण और कलिका पुराण आदि में मिलता है। हिंगलाज माता के भैरव कोट्टवीशा या भीमलोचन कहे जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहां पर भगवान गणेश, माता काली और गोरखनाथ की धूनी भी स्थापित हैं
हिंगलाज माता मंदिर में आस्था केवल हिंदू ही नहीं वल्कि मुस्लिम लोग भी पूजा अर्चना।
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Jay Mata hinglaj Devi
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