भारत की भूमि चमत्कार और रहस्यों ( Miracle ) से भरी हुई है। जहां एक से बढ़कर एक चमत्कारिक और रहस्मयी मन्दिर ( wondrous and mysterious temple )देखने को मिलते हैं। यहां मंदिरों के रहस्य और चमत्कार के आगे, विज्ञान भी फैल हो जाता है। यह post बहुत रोमांचक होने वाला है। इस Post में अक्षरू देवी के चमत्कार और मंदिर के दिव्य और अलौकिक शक्ति के बारे में बताने वाले ( Tells about the miracles of Aksharu Devi and the divine and supernatural power of the temple ) हैं। साथ ही मंदिर से जुड़ी सच्ची घटना की कहानी भी बताएंगे।
achhru mata mandir |
मध्य प्रदेश के निवाड़ी रोड पर स्थित तहसील पृथ्वीपुर के पास मडिय़ा ग्राम से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित, अछरू माता का मंदिर बहुत चर्चित ( The temple of Achhru Mata is very popular ) है। अछरू मंदिर टीकमगढ़ ही नहीं वल्कि पूरे बुंदेलखंड ( Tikamgarh and all Bundelkhand ) में दूर दूर तक में चमत्कार ( Miracle ) के लिए जाना जाता है।
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यह मंदिर ही नहीं वल्कि यहां होने वाले चमत्कार किसी रहस्य से ( achhru mata temple miracle and mystery in hindi ) कम नहीं है। मंदिर में होने वाले चमत्कार के आगे विज्ञान भी नतमस्तक हो जाए। अछरु माता मंदिर में एक ऐसा दिव्य कुंड ( Achru Mata Temple Divya Kund ) है, जो चमत्कार और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है, कुंड सदैव जल से भरा रहता है। हर साल नवरात्रि के अवसर पर ग्राम पंचायत की देखरेख में अछरू माता मेला ( Achhru mata temple fair ) लगता है। जहां हजारों की संख्या में भीड़ आती है। जिसमें दूर-दूर से लोग आकर माता के दरबार में मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि इस कुंड से माता अपने भक्तों को कुछ न कुछ प्रसाद के रूप में देती है। आस्था है, कुंड से निकलने वाला प्रसाद उन ही भक्तों को मिलता है, जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
वास्तव में मंदिर में होने वाले चमत्कार आपको हैरान कर देने वाले हैं। जैसा कि आपको बताया मंदिर में कुंड की दिव्यता लोक प्रिय है। अछरूमाता मंदिर में मूर्ति नहीं वल्कि पूजारी के द्वारा माता के आग्रह करने के बाद दिव्य चमत्कार होता है। भक्तों की मन्नत करने के बाद मंदिर में मौजुद पूजारी, माता से प्रार्थना करते हैं। जिसके बाद जो हुआ वो हैरत एंगेज करने वाला होता है। माता के कुंड से प्रसाद के रूप में गरी, सूखे मेवे या कुछ अन्य निकलता है। जो एक चमत्कार और रहस्मय पहली है।
अक्षरु माता मंदिर का इतिहास
अक्षरु माता मंदिर का इतिहास 500 साल से भी पुराना है। किदवंती और कहानियों के अनुशार अछरू माता मंदिर का इतिहास, यादव समाज के गौसेवक अछरू से जुड़ा हुआ है, जिन्हें माता रानी ने अपने दर्शन ही नहीं दिए, बल्कि उन्हें आज भी अछरू माता के नाम से जाना जाता है।
सुनी कथा और कहानियों के अनुशार अछरू नामक किसान की गाय और भैंस गुम हो गईं थीं, जिन्हें वह प्रतिदिन जंगल में चराने के लिए लाता था। अक्षरु किसान को भैंसों को ढूंढते-ढूंढ़ते लगभग एक महीना हो गया। किसान थक हार कर जंगल में एक पहाड़ी के ऊपर बैठ गया, प्यास के मारे उसके प्राण निकले जा रहे थे। अचानक एक दिव्य प्रकाश हुआ और देवी मां ने कुंड में से निकल कर किसान को दर्शन दिए। कुंड से प्रगट देवी ने किसान से कहा, इस कुंड में से पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो । इसके साथ ही माता ने किसान को उसकी भैंसों का पता भी बता दिया। अछरू नाम के किसान ने कुंड में से पानी पीकर अपनी प्यास को शांत किया। जब किसान ने कुंड की गहराई पता करने के लिए अपनी लाठी कुंड में डाली तो वो लाठी कुंड के अंदर चली गई, अछरू कुंड में अपनी लाठी छोड़ कर, देवी के बताए स्थान पर गया । जहां उसे उसकी सारी भैंसे मिल गयीं साथ ही वो लाठी जो कुंड में छोड़कर आया था, वो लाठी भी उसी तालाब में मिली। यह देख अछरू यादव किसान देवी की जय जयकार करने लगा। अछरू किसान की यह घटना, लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। बताया जाता है लोग इस स्थान पर आने लगे और लोगो की मनोकामनाएं पूर्ण होती चली गईं। भक्तों ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवा दिया और उस समय से आज तक मंदिर की पूरी देख रेख और पूजा पाठ होने लगा। आज भी इस मंदिर के चमत्कार के चर्चे चारों तरफ है।
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