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Aug 15, 2023

Baba Gangu Mehtar : जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों में दबकर रह गईं । ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे - गंगू बाबा।

1857 की क्रांति ( 1857 Kranti ) में शामिल सेनानियों ( freedom fighter ) के कुछ नाम आपको जुबानी याद होंगे, तो कुछ गुम नाम ही रह गए। आज इस Post में एक ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी freedom fighter के बारे में बात करने वाले हैं, जिसने अकेले ही 200 से ज्यादा ब्रिटिश सैनिकों British army को मौत की नींद सुला दिया। गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी ने ब्रिटिश सरकार को अपने साहस और पराक्रम से, अंग्रेजी सेना की रातों की नींद तक उड़ा दी। 

Freedom fighter Gangu mehtar valmiki
Freedom fighter Gangu mehtar 

ब्रिटिश राज की बेड़ियों में जकड़े भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों सेनानियों ने सालों तक संघर्ष किया, अनेकों सेनानियों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, तब जाकर देश आजाद हुआ। 

       आजादी के इस संघर्ष में कई स्वतंत्रता सेनानियों की मजबूत छवि बनी, जिन्हे आज सब जानते हैं, हालांकि, कई स्वतंत्रता सेनानी ऐसे भी रहे जिन्होंने स्वतंत्रता के संघर्ष में बहुत मूल्यवान आहुति दी, लेकिन जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों में दबकर रह गईं । ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे - गंगू बाबा। ( Gangu mehtar ya Valmiki )


कौन थे गंगू बाबा? Who did Gangu Baba  

इस वीडियो में हम बताने वाले है गंगू बाबा की वो पूरी कहानी जो इतिहास के पन्नों में दब चुकी है। गंगू मेहतर को लोग गंगू बाबा के नाम से भी जानते हैं। गंगू बाबा ने 1857 के विद्रोह में अकेले ही 200 से भी ज्यादा ब्रिटिश सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया था। गंगू बाबा का कहना था कि,  भारत की माटी में, हमारे पूर्वजों के खून और कुर्बानी की गंध है।  एक दिन हमारा देश गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आज़ादी का उत्सव मनाएगा। 

     गंगू मेहतर का जन्म कानपुर के अकबरपुर में हुआ। उस दौर में जाति को लेकर समाज में कई असमानताएं फैली हुई थीं, जिसका शिकार गंगू भी हुए। चूंकि वो निम्न जाति के थे इसलिए उन्हे पढ़ने-लिखने का अवसर भी नहीं मिल पाया। 

     बताया जाता हैं  स्वतन्त्रता सेनानी गंगू बाबा को पहलवानी का बहुत शौक था। 1857 के उस दौर में,  देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो चुका था। मराठों की हार के बाद अंतिम पेशवा बाजीराव कानपुर के बिठूर आकर बस गए और उन्होंने नाना साहब को गोद ले लिया। बाजीराव के देहांत के बाद अंग्रेजों ने नाना को बाजीराव का वारिस नहीं माना, जिसके जवाब में नाना साहब ने भी अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शरुआत कर दी।

          नाना साहब पेशवा के सेना में गंगू मेहतर भी थे। सैनिकों में बेहतर कुशल प्रदर्शन और पहलवानी से प्रभावित, पेशवा सेना में उन्हे सूबेदार का पद दिया गया। उन्होंने 1857 की लड़ाई में नाना साहब की ओर से अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया और सैंकड़ो सैनिकों को मार गिराया। बताया जाता है कि गंगू ने अकेले ही 200 से भी ज्यादा अंग्रेज सैनिकों को मौत की नींद सुलाया था। उनके इस पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत बुरी तरह सहम चुकी थी। 


हंसते-हंसते चढ़ गए थे फांसी

जंग के दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने सैनानी गंगू मेहतर को धोखे से पकड़कर कारागार में डाल दिया था। बताया जाता है उनको जेल के अन्दर कई तरह की यातनाएं दीं फिर भी अंग्रेज उनकी साहस को नहीं तोड़ पाए। अंत में अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हे फांसी की सजा सुना दी। कानपुर में 8 सितंबर 1859 को गंगू  मेहतर ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। आज 77 स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महान स्वतंत्रता सेनानी को याद कर लेते हैं। 



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