वृंदावन नाम तो सुना ही होगा, वो पवित्र जगह, जो भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की साक्षी हैं। कृष्ण का बचपन, वृंदावन के वन और नंदगांव में गुजरा है। बिहारी की बाललीलाओं के प्रमाण, वृंदावन की धरती पर आज भी मौजुद हैं। कृष्ण की बाल लीलाओं की अनगिनत कहानी और किस्से आपने सुने होंगे। इन्हीं बाल लीलाओं में से कृष्ण की रास लीला के प्रमाण आज भी वृंदावन में मौजूद हैं।आपको बता दें ब्रज में एक दोहा बहुत प्रसिद्ध है।
" वृंदावन सो वन नहीं, कृष्ण नाम सो नाम | राधा सी गौरी नहीं, नंद गांव सो गाम ।। "
कृष्ण की बाल लीलाओं में, एक लीला निधि वन से भी जुड़ी है। निधिवन में मान्यता है आज भी, श्री कृष्ण यहां बचपन की लीलाओं को दोहराते हैं। निधिवन में प्रतिदिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण के उपस्थित होने के प्रमाण भी मिलते हैं।
कई प्रमाण और साक्ष्य के आधार पर निधिवन में आज भी, हर रात, कृष्ण-गोपियों संग रास रचाते हैं। यही कारण है की, सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है। इसके बाद निधिवन में कोई नहीं रहता है। निधिवन में दिन में रहने वाले पक्षी भी शाम होते ही इस वन को छोड़कर चले जाते है। निधिवन से जुड़े कई ऐसे रहस्य है, जिनके बारे में हम आपको बताने वाले हैं।
निधिवन के अंदर रंग महल में प्रतिदिन होता है चमत्कार ( What happens in Nidhivan at night? )
रहस्यों से भरे निधिवन के अंदर कृष्ण का रंग महल है। जिसके बारे में मान्यता है की हर रात यहां राधा और कृष्ण रास रचाते हैं। रंग महल में राधा और श्रीकृष्ण के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो हर कोई हैरान हो जाता है। मंदिर के अन्दर पट खुलने के बाद का नज़ारा कुछ और ही होता है।
रंग महल का बिस्तर मिलता है अस्त-व्यस्त ( What happened in Nidhivan? )
शाम को मंदिर में जो पलंग सजावट कर रखा जाता है । उसमें होने वाले बदलाव सुबह सबको हैरान कर देते हैं। सुबह पांच बजे जब रंग महल के पट खुलते हैं। उस समय बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है।
निधिवन रात में तुलसी के पेड़ बनते हैं गोपियां
निधिवन में पूर्णतया तुलसी के पेड़ हैं। अचरज की बात यह हैं की यहां तुलसी का हर पौधा जोड़े में है। मान्यता है, कि जब श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं, तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं। त्रेता युग से चली आ रही किदवंती के अनुसार ही यहां, रात्रि में रासलीला होती है। और सुबह होने पर तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं। ये पेड़ ऐसे फैले हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है।
निधिवन के आसपास घरों में नहीं हैं खिड़कियां
निधिवन के आसपास बने घरों में वन की तरफ खिड़कियां नहीं हैं। यहां रहने वाले लोगों का मानना है, कि शाम के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। बताया जाता है, जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया वे अंधे हो गए या फिर पागल हो गए।
कुछ लोगों ने वन की तरफ बनी खिड़कियों को ईंटों से बंद कर रखा है। जिससे कोई चाहकर भी इस वन की तरफ नहीं देख सके। वृंदावन में ऐसे कई बुर्जुग हैं जो इस वन से जुड़ी कई रहस्यमय कहानियां बताते हैं।
What happens at night in Nidhivan जो भी देखता है, पागल हो जाता है।
वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है , और सब लोग यहां से चले जाते हैं लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो पागल हो जाता है।
ऐसा ही एक वाक्या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था, जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रासलीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वह बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। ऐसे कई किस्से यहां के लोग बताते हैं।
हमें कमेन्ट बॉक्स में लिखें। क्या आप भी गए हैं निधिवन?
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