Covid 19 vaccination |
कोरोना वैक्सीनेशन से आर्टिकल 21 का कनेक्शन
केंद्र सरकार ने लोगों को दिए जानी वाली vaccination को लेकर पॉलिसी तैयार की थी | vaccination की पॉलिसी को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को पॉलिसी पर पुनर्विचार के लिए कहा था | कोर्ट ने सरकार से कहा था , कि पहली नजर में ऐसा लगता है, इससे संबिधान के आर्टिकल 21 के तहत सार्वजानिक स्वास्थ्य के अधिकारों को क्षति पहुँचती है | कोर्ट ने सरकार से देश में अलग-अलग राज्यों में वैक्सीन की प्राइस को लेकर भी आपत्ति जताई है | साथ कोर्ट ने सरकार से vaccination के अलग कीमत को लेकर भी सवाल पूछा है |
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क्या है आर्टिकल 21 ?
संविधान का आर्टिकल 21 लोगों को जीने का अधिकार देता है जिससे हर व्यक्ति आजादी से जी सके। इसमें कोई अन्य व्यक्ति या संस्था किसी व्यक्ति के इस अधिकार का उल्लंघन करने का प्रयास करता है, तो पीड़ित व्यक्ति को सीधे सुप्रीम कोर्ट तक जाने का अधिकार होता है। इस आर्टिकल के अन्तर्गत स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य की सावधानी का अधिकार वैसा ही होता है जैसे जीवन जीने का अधिकार।
केंद्र सरकार ने क्या दिया जबाब ?
" नवभात टाइम्स " में छपी खबर के अनुशार केंद्र सरकार ने अपने वचाब में कोरोना पॉलिसी को लेकर सफाई दी | केंद्र सरकार ने सफाई में कोर्ट ने कहा है, कि कोरोना vaccination में न्यायपालिका के हस्तक्षेप की जरुरत नहीं है | सरकार ने कोर्ट ने आग्रह किया है , न्यायपालिका वैक्सीनेशन का काम कार्य पालिका पर छोड़ दे | केंद्र की तरफ से जबाब कहा गया है जो पॉलिसी बनाई गई वह एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर है | केंद्र सरकार ने कहा है कि जो नीति बनाई गई है वो संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के जनादेश के अनुरूप ही है। काफी विचार विमर्श के बाद वैक्सीन की पॉलिसी तैयार की गई है। विश्वास कीजिए हम पर इस पर कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
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