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Sep 18, 2023

Bhimashankar Jyotirlinga : भीमाशंकर क्यों प्रसिद्ध है ? भीमाशंकर मंदिर का निर्माण किसने करवाया ?

अनन्त कोटि के स्वामी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में ( 12 Jyotirlinga ), पूरे ब्रह्मांड की शक्ति का वास माना जाता है। पुराणों में शिव की महिमा ( Shiv Mahima ) के वर्णन बड़े विस्तार किया है। भारत में अनंत कोटि के स्वामी भगवान शिव के, स्वयंभू उत्पन्न 12 ज्योर्तिलिंग 12 jyotirlinga हैं। जिनकी महीमा और रहस्यों ( mystery of Jyotirlinga ) की अनंत कहानिया और किदवंती प्रसिद्ध हैं। देश में कई ऐसे मंदिर Jyotirlinga temple yatra हैं, जहां चमत्कार और रहस्य आए दिन देखने को मिलते हैं। हिंदु धर्म में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। ये सभी 12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में हैं। भक्तों की मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन ( Darshan 12 Jyotirlinga ) मात्र से ही इंसान के सभी कष्ट दूर होते हैं और हर इच्छा पूरी होती है। 

Mystery of Bhimashankar jyotirlinga Puna maharastra

 इन 12 ज्योर्तिलिंग में गुजरात का सोमनाथ ( Gujarat Somnath ) , शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ( Mallikarjun Jyotirlinga ), क्षिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ( Mahakaleshwar ) ,  उज्जैन के ओंकारेश्वर ( Omkareshwar ), उत्तराखंड में केदारेश्वर ( Kedareshwar ), महाराष्ट्र में भीमाशंकर ( Bhimashankar temple pune ), वाराणसी में विश्वेश्वर या विश्वनाथ ( Vishveshwar ya vishwanath temple ), गोदावरी तट पर त्र्यंबकेश्वर ( Trimbkeshwar ), झारखंड में वैद्यनाथ ( Vaithynath temple ), दारुकवन में नागेश्वर ( Nageshwar temple ), तमिलनाडु में रामेश्वर ( Rameshwar temple ), औरंगाबाद में घुष्मेश्वर या घृष्णेश्वर शामिल Ghrusmeshwar temple हैं। माना जाता है इस सभी ज्योतिर्लिंगों के नाम स्मरण से मनुष्य द्वारा पूर्व जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इस post में, भगवान शिव के छठे ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर के बारे में बात करने वाले हैं।


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन ( Bhimashankar Jyotirlinga Darshan )

श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव के उन सुप्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल है, जिनमें पूरे ब्रह्मांड की शक्ति का वास माना जाता है। शैव परंपरा से संबंध रखने वाले, भोले के भक्तों के लिए यह स्थान बहुत महत्वूर्ण है। माना जाता है, भीमाशंकर महादेव के दर्शन करने से मनुष्य के पाप क्षण में दूर हो जाते हैं। बताया जाता है, इस मंदिर के दर्शन बिना, भक्तों को तृप्ति नहीं मिलती है। 


भीमाशंकर में क्या खास है? Why Bhimashankar Jyotirlinga

महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में छठवें स्थान पर मौजूद भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग अमोघ है। माना जाता है भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन सुखद और फलदाई है। भीमाशंकर या मोटेश्वर के नाम से लोकप्रिय इस मंदिर का निर्माण मराठा साम्राज्य में छत्रपति शिवाजी महाराज ने करवाया था। इतिहास में मौजूद प्रमाणों से पता चलता है, छत्रपति शिवाजी महाराज ने, यहां आने वाले भक्तों की सुविधाओं के लिए काम किए। 


आखिर क्यों प्रसिद्ध है भीमाशंकर Why Famous Bhimashankar Jyotirlinga

भीमाशंकर मंदिर अपनी वास्तुकला और पौराणिक महत्व के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध माना जाता है। यहाँ आस-पास कई कुंड मौजूद है, जिन्हें मोक्ष कुंड, कुशारण्य कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड के नाम से जाना जाता है। इनमें से मोक्ष कुंड का संबंध महर्षि कौशिक से है। वहीँ कुशारण्य कुंड की बात करें तो इसका उद्गम भीमा नदी से हुआ है। इन कुंडों की विशेषता यह है कि इनमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीमाशंकर नदी की स्थापना से पहले ही यहाँ पर माता पार्वती का एक सुप्रसिद्ध मन्दिर था, जो कमलजा मंदिर के नाम से लोकप्रिय है।


भीमाशंकर महादेव की कहानी ( What is story of Bhimashankar Jyotirlinga )

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर मौजूद है। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे एक पौराणिक कथा है, कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण और उसके छोटे भाई कुंभकरण का वध किया था। कुंभकरण वध के बाद उसके पुत्र भीमा का जन्म हुआ। जब भीमा के पुत्र को उसके पिता का, श्रीराम के द्वारा वध करने का पता चला। भीमा ने क्रोधित होकर श्री राम की हत्या का प्रण लिया। भीमा ने ब्रह्मा जी की कई वर्षों की तक कठोर तपस्या की, ब्रह्म जी ने प्रसन्न होकर कुंभकरण के पुत्र भीमा को अजय होने का वरदान दिया। सदा विजय होने का वरदान पाने के बाद, भीमा ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया। अंत में परेशान देवतागण भगवान भोले नाथ के पास पहुंचे और भीमा से बचाने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने इसी स्थान पर प्रकट होकर भीमा को युद्ध में परास्त कर दिया। युद्ध समाप्त होने के बाद देवताओं ने शिव से यहीं स्थापित होने का अनुरोध किया, देवताओं के आग्रह पर शिव जी यहां ज्योर्तिलिंग के रूप में विराजमान हो गए। 


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ रोचक जानकारियां ।

पूरे ब्रह्मांड की शक्तियां को समाहित किए, इस ज्योर्तिलिंग की शक्तियों का वर्णन पुराणों में मिलता है। भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की महीमा का गुणगान और शक्ति के बारे में शिव पुराण में विस्तृत वर्णन किया है। शिव पुराण के अनुशार सूर्योदय के बाद, इस मंदिर में सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को पापों से मुक्ति मिल जाती है। 


भीमाशंकर महादेव के आस पास सहाद्री पर्वत पर कई तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं, साथ ही यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को, वन्य प्राणी के कई प्रजाति देखने को मिलती हैं।


यहां पर गुप्त भीमाशंकर, हनुमान क्षील, साक्षी विनायक आदि प्रसिद्ध स्थल मौजूद है। 


भीमशंकर ज्योतिर्लिंग अद्भुत और अकल्पनीय है। दर्शन के साथ ही यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है। अगर आपने भी महादेव के इस ज्योर्तिलिंग का दर्शन किया है तो हमे कमेन्ट बॉक्स में लिखें।

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