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Sep 9, 2023

Kamakhya mandir : मंदिर के बारे में बात करने से, क्‍यों शरमाते हैं लोग? 51 शक्तिपीठों में शामिल है मन्दिर।

दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ ऐसा भी जिसके बारे में बात करने में लोग शरमा जाते हैं, पर ऐसा क्‍यों ?

हिंदुओं में अगर किसी भी महिला को पीरियड्स (Women Periods) होते हैं तो उसकी जिंदगी रुक सी जाती है, मंदिर तो क्या, वो कोई भी शुभ काम को नहीं कर सकती। असम में एक ऐसा मंदिर है जहां पीरियड्स के दौरान महिलाएं, मंदिर के अंदर जाती हैं । यह वो मंदिर है जहां पीरियड्स के दौरान देवी की पूजा  होती है । यही नहीं इस मंदिर में एक खास तरह का प्रसाद भी दिया जाता है। इस वीडियो में हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के रहस्य के बारे में बताने वालें है, और साथ में मंदिर के इतिहास से भी रू-ब-रू करायेंगे।

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गोवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर मौजूद कामख्या देवी मंदिर, दुर्गा की 51 शक्तिपीठों में शामिल ( kamakhya temple guwahati ) है। विश्व प्रसिद्द कामाख्या देवी ( world Famous Kamakhya Temple ) के मंदिर के बारे में बात करते ही अक्सर लोग शरमा जाते हैं, इसकी वजह है मां सती का योनि स्‍वरूप में मौजूद होना । मां कामाख्‍या देवी, जिनकी महिमा और पूजा विधान दुनिया में सबसे अलग है।

कामाख्या मंदिर का इतिहास ( kamakhya temple in hindi )

कामाख्या मंदिर भारत में सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और स्वाभाविक रूप से,सदियों का इतिहास इसके साथ जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण आठवीं और नौवीं शताब्दी के बीच हुआ था। भारतीय इतिहास के ( kamakhya temple built by ) मुताबिक,16वीं सदी में इस मंदिर को एक बार नष्ट कर दिया गया था, फिर कुछ सालों बाद बिहार के राजा नर नारायण सिंह द्वारा 17वीं सदी में इस मंदिर का पुन:निर्माण करवाया गया।

मंदिर में मौजूद पत्थर से निकलता है पानी ( kamakhya temple menstruation )

कामख्या देवी मंदिर योंही नहीं वल्कि अपने चमत्कार और रहस्यों लिए प्रसिद्ध है। रहस्य और चमत्कार से भरे कामख्या देवी मंदिर की एक विशेष बात ये भी है कि यहां पत्थर से, हमेशा पानी निकलता रहता है। बताया जाता है, महीने में एक बार खून की धारा बहतीी ( कामाख्या देवी ब्लीडिंग )  है। इस दाैरान यहां पर एक सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है जिसे बाद में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। भक्तों के बीच मान्यता है कि 3 दिन देवी मासिक धर्म से गुजरती हैं।

कामाख्या मंदिर से जुड़ी कहानी ( kamakhya temple story in hindi )

देवी कामाख्या मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। यह मंदिर भगवान शिव की पत्नी सती को समर्पित है । पुराणों और किदवंती के अनुशार जब सती ने यज्ञ के दौरान, हवन कुंड में प्राणों की आहुति दे दी, उस समय शिव सती की जली हुऐ शरीर को लेकर दुःख के अधीन थे। देवताओं के आग्रह पर विष्णु ने, शिव का मोह भंग करने के लिए , सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। सती के शरीर से टुकड़े अलग होकर जिस स्थान पर गिरे, वहां शक्ति पीठ की स्थापना हुई। बताया जाता है, नीलांचल पर्वत पर सती का योनि भाग गिरा था । जिसके बाद यहां कामाख्या शक्तिपीठ की स्थापना हुई।

तांत्रिकों का प्रमुख सिद्धपीठ है कामाख्या मंदिर ya कामाख्या मंत्र सिद्धि

मां कामाख्‍या मंदिर दुनियाभर में तंत्र सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर तांत्रिकों का प्रमुख सिद्धपीठ माना जाता है। माता कामाख्‍या की तांत्रिकों द्वारा विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा मां कामाख्या देवी को हर इच्छा पूरी करने वाली देवी के रूप में, भी जाना जाता है। कहते हैं देवी कामख्या अपने भक्तों की प्रार्थना व तपस्या से खुश होने पर उनकी हर मुराद पूरी करती है।  

तंत्र-मंत्र साधना के लिए जाना जाता है कामाख्या शक्तिपीठ

मां कामाख्या का पावन धाम तंत्र-मंत्र की साधना के लिए जाना जाता है। कहते हैं कि इस सिद्धपीठ पर हर किसी कामना पूरी होती है। इसीलिए इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है। यहां पर साधु और अघोरियों का सिद्धि प्राप्त करने के लिए तांता लगा रहता है। मंदिर में आपको जगह-जगह पर तंत्र-मंत्र से संबंधित चीजें मिल जाएंगी।

कामाख्या मंदिर का रहस्य ( kamakhya temple mystery )

कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ माना जाता है। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति या चित्र आपको दिखाई नहीं देगी, वल्कि मंदिर में एक कुंड बना है जो की हमेशा फूलों से ढका रहता है। इस कुंड से हमेशा ही जल निकलता रहता है. चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है । 

          काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या माता तांत्रिकों की सबसे महत्वपूर्ण देवी है। कामाख्या देवी की पूजा भगवान शिव के नव वधू के रूप में की जाती है, जो कि मुक्ति को स्वीकार करती है और सभी इच्छाएं पूर्ण करती है।

            माना जाता है, मंदिर परिसर में जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है उसकी हर मुराद पूरी होती है। चूंकि कामख्या देवी के मुख्य मंदिर में मूर्ति नहीं है। वल्कि इस मंदिर के साथ लगे एक मंदिर में आपको देवी कामख्या की एक मूर्ति भक्तों के दर्शन के लिए विराजमान है। 

कामख्या देवी का अनोखा प्रसाद ( kamakhya temple story )

दरअसल यहां तीन दिन मासिक धर्म के चलते एक सफेद कपड़ा माता के दरबार में रख दिया जाता है और तीन दिन बाद जब दरबार खुलते है तो कपड़ा लाल रंग में भीगा होता है। जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। माता सती का मासिक धर्म वाला कपड़ा बहुत पवित्र माना जाता है। ये मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। मां के सभी शक्ति पीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम माना गया है। इस कपड़े को अम्बुवाची कपड़ा कहा जाता है। इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। 

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