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Sep 18, 2023

Bhimashankar Jyotirlinga : भीमाशंकर क्यों प्रसिद्ध है ? भीमाशंकर मंदिर का निर्माण किसने करवाया ?

अनन्त कोटि के स्वामी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में ( 12 Jyotirlinga ), पूरे ब्रह्मांड की शक्ति का वास माना जाता है। पुराणों में शिव की महिमा ( Shiv Mahima ) के वर्णन बड़े विस्तार किया है। भारत में अनंत कोटि के स्वामी भगवान शिव के, स्वयंभू उत्पन्न 12 ज्योर्तिलिंग 12 jyotirlinga हैं। जिनकी महीमा और रहस्यों ( mystery of Jyotirlinga ) की अनंत कहानिया और किदवंती प्रसिद्ध हैं। देश में कई ऐसे मंदिर Jyotirlinga temple yatra हैं, जहां चमत्कार और रहस्य आए दिन देखने को मिलते हैं। हिंदु धर्म में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। ये सभी 12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में हैं। भक्तों की मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन ( Darshan 12 Jyotirlinga ) मात्र से ही इंसान के सभी कष्ट दूर होते हैं और हर इच्छा पूरी होती है। 

Mystery of Bhimashankar jyotirlinga Puna maharastra

 इन 12 ज्योर्तिलिंग में गुजरात का सोमनाथ ( Gujarat Somnath ) , शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ( Mallikarjun Jyotirlinga ), क्षिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ( Mahakaleshwar ) ,  उज्जैन के ओंकारेश्वर ( Omkareshwar ), उत्तराखंड में केदारेश्वर ( Kedareshwar ), महाराष्ट्र में भीमाशंकर ( Bhimashankar temple pune ), वाराणसी में विश्वेश्वर या विश्वनाथ ( Vishveshwar ya vishwanath temple ), गोदावरी तट पर त्र्यंबकेश्वर ( Trimbkeshwar ), झारखंड में वैद्यनाथ ( Vaithynath temple ), दारुकवन में नागेश्वर ( Nageshwar temple ), तमिलनाडु में रामेश्वर ( Rameshwar temple ), औरंगाबाद में घुष्मेश्वर या घृष्णेश्वर शामिल Ghrusmeshwar temple हैं। माना जाता है इस सभी ज्योतिर्लिंगों के नाम स्मरण से मनुष्य द्वारा पूर्व जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इस post में, भगवान शिव के छठे ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर के बारे में बात करने वाले हैं।


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग दर्शन ( Bhimashankar Jyotirlinga Darshan )

श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव के उन सुप्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल है, जिनमें पूरे ब्रह्मांड की शक्ति का वास माना जाता है। शैव परंपरा से संबंध रखने वाले, भोले के भक्तों के लिए यह स्थान बहुत महत्वूर्ण है। माना जाता है, भीमाशंकर महादेव के दर्शन करने से मनुष्य के पाप क्षण में दूर हो जाते हैं। बताया जाता है, इस मंदिर के दर्शन बिना, भक्तों को तृप्ति नहीं मिलती है। 


भीमाशंकर में क्या खास है? Why Bhimashankar Jyotirlinga

महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में छठवें स्थान पर मौजूद भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग अमोघ है। माना जाता है भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन सुखद और फलदाई है। भीमाशंकर या मोटेश्वर के नाम से लोकप्रिय इस मंदिर का निर्माण मराठा साम्राज्य में छत्रपति शिवाजी महाराज ने करवाया था। इतिहास में मौजूद प्रमाणों से पता चलता है, छत्रपति शिवाजी महाराज ने, यहां आने वाले भक्तों की सुविधाओं के लिए काम किए। 


आखिर क्यों प्रसिद्ध है भीमाशंकर Why Famous Bhimashankar Jyotirlinga

भीमाशंकर मंदिर अपनी वास्तुकला और पौराणिक महत्व के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध माना जाता है। यहाँ आस-पास कई कुंड मौजूद है, जिन्हें मोक्ष कुंड, कुशारण्य कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड के नाम से जाना जाता है। इनमें से मोक्ष कुंड का संबंध महर्षि कौशिक से है। वहीँ कुशारण्य कुंड की बात करें तो इसका उद्गम भीमा नदी से हुआ है। इन कुंडों की विशेषता यह है कि इनमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीमाशंकर नदी की स्थापना से पहले ही यहाँ पर माता पार्वती का एक सुप्रसिद्ध मन्दिर था, जो कमलजा मंदिर के नाम से लोकप्रिय है।


भीमाशंकर महादेव की कहानी ( What is story of Bhimashankar Jyotirlinga )

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर मौजूद है। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे एक पौराणिक कथा है, कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण और उसके छोटे भाई कुंभकरण का वध किया था। कुंभकरण वध के बाद उसके पुत्र भीमा का जन्म हुआ। जब भीमा के पुत्र को उसके पिता का, श्रीराम के द्वारा वध करने का पता चला। भीमा ने क्रोधित होकर श्री राम की हत्या का प्रण लिया। भीमा ने ब्रह्मा जी की कई वर्षों की तक कठोर तपस्या की, ब्रह्म जी ने प्रसन्न होकर कुंभकरण के पुत्र भीमा को अजय होने का वरदान दिया। सदा विजय होने का वरदान पाने के बाद, भीमा ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया। अंत में परेशान देवतागण भगवान भोले नाथ के पास पहुंचे और भीमा से बचाने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने इसी स्थान पर प्रकट होकर भीमा को युद्ध में परास्त कर दिया। युद्ध समाप्त होने के बाद देवताओं ने शिव से यहीं स्थापित होने का अनुरोध किया, देवताओं के आग्रह पर शिव जी यहां ज्योर्तिलिंग के रूप में विराजमान हो गए। 


भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ रोचक जानकारियां ।

पूरे ब्रह्मांड की शक्तियां को समाहित किए, इस ज्योर्तिलिंग की शक्तियों का वर्णन पुराणों में मिलता है। भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की महीमा का गुणगान और शक्ति के बारे में शिव पुराण में विस्तृत वर्णन किया है। शिव पुराण के अनुशार सूर्योदय के बाद, इस मंदिर में सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को पापों से मुक्ति मिल जाती है। 


भीमाशंकर महादेव के आस पास सहाद्री पर्वत पर कई तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं, साथ ही यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को, वन्य प्राणी के कई प्रजाति देखने को मिलती हैं।


यहां पर गुप्त भीमाशंकर, हनुमान क्षील, साक्षी विनायक आदि प्रसिद्ध स्थल मौजूद है। 


भीमशंकर ज्योतिर्लिंग अद्भुत और अकल्पनीय है। दर्शन के साथ ही यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है। अगर आपने भी महादेव के इस ज्योर्तिलिंग का दर्शन किया है तो हमे कमेन्ट बॉक्स में लिखें।

Sep 9, 2023

Kamakhya mandir : मंदिर के बारे में बात करने से, क्‍यों शरमाते हैं लोग? 51 शक्तिपीठों में शामिल है मन्दिर।

दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ ऐसा भी जिसके बारे में बात करने में लोग शरमा जाते हैं, पर ऐसा क्‍यों ?

हिंदुओं में अगर किसी भी महिला को पीरियड्स (Women Periods) होते हैं तो उसकी जिंदगी रुक सी जाती है, मंदिर तो क्या, वो कोई भी शुभ काम को नहीं कर सकती। असम में एक ऐसा मंदिर है जहां पीरियड्स के दौरान महिलाएं, मंदिर के अंदर जाती हैं । यह वो मंदिर है जहां पीरियड्स के दौरान देवी की पूजा  होती है । यही नहीं इस मंदिर में एक खास तरह का प्रसाद भी दिया जाता है। इस वीडियो में हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के रहस्य के बारे में बताने वालें है, और साथ में मंदिर के इतिहास से भी रू-ब-रू करायेंगे।

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गोवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर मौजूद कामख्या देवी मंदिर, दुर्गा की 51 शक्तिपीठों में शामिल ( kamakhya temple guwahati ) है। विश्व प्रसिद्द कामाख्या देवी ( world Famous Kamakhya Temple ) के मंदिर के बारे में बात करते ही अक्सर लोग शरमा जाते हैं, इसकी वजह है मां सती का योनि स्‍वरूप में मौजूद होना । मां कामाख्‍या देवी, जिनकी महिमा और पूजा विधान दुनिया में सबसे अलग है।

कामाख्या मंदिर का इतिहास ( kamakhya temple in hindi )

कामाख्या मंदिर भारत में सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और स्वाभाविक रूप से,सदियों का इतिहास इसके साथ जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण आठवीं और नौवीं शताब्दी के बीच हुआ था। भारतीय इतिहास के ( kamakhya temple built by ) मुताबिक,16वीं सदी में इस मंदिर को एक बार नष्ट कर दिया गया था, फिर कुछ सालों बाद बिहार के राजा नर नारायण सिंह द्वारा 17वीं सदी में इस मंदिर का पुन:निर्माण करवाया गया।

मंदिर में मौजूद पत्थर से निकलता है पानी ( kamakhya temple menstruation )

कामख्या देवी मंदिर योंही नहीं वल्कि अपने चमत्कार और रहस्यों लिए प्रसिद्ध है। रहस्य और चमत्कार से भरे कामख्या देवी मंदिर की एक विशेष बात ये भी है कि यहां पत्थर से, हमेशा पानी निकलता रहता है। बताया जाता है, महीने में एक बार खून की धारा बहतीी ( कामाख्या देवी ब्लीडिंग )  है। इस दाैरान यहां पर एक सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है जिसे बाद में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। भक्तों के बीच मान्यता है कि 3 दिन देवी मासिक धर्म से गुजरती हैं।

कामाख्या मंदिर से जुड़ी कहानी ( kamakhya temple story in hindi )

देवी कामाख्या मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। यह मंदिर भगवान शिव की पत्नी सती को समर्पित है । पुराणों और किदवंती के अनुशार जब सती ने यज्ञ के दौरान, हवन कुंड में प्राणों की आहुति दे दी, उस समय शिव सती की जली हुऐ शरीर को लेकर दुःख के अधीन थे। देवताओं के आग्रह पर विष्णु ने, शिव का मोह भंग करने के लिए , सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। सती के शरीर से टुकड़े अलग होकर जिस स्थान पर गिरे, वहां शक्ति पीठ की स्थापना हुई। बताया जाता है, नीलांचल पर्वत पर सती का योनि भाग गिरा था । जिसके बाद यहां कामाख्या शक्तिपीठ की स्थापना हुई।

तांत्रिकों का प्रमुख सिद्धपीठ है कामाख्या मंदिर ya कामाख्या मंत्र सिद्धि

मां कामाख्‍या मंदिर दुनियाभर में तंत्र सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर तांत्रिकों का प्रमुख सिद्धपीठ माना जाता है। माता कामाख्‍या की तांत्रिकों द्वारा विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा मां कामाख्या देवी को हर इच्छा पूरी करने वाली देवी के रूप में, भी जाना जाता है। कहते हैं देवी कामख्या अपने भक्तों की प्रार्थना व तपस्या से खुश होने पर उनकी हर मुराद पूरी करती है।  

तंत्र-मंत्र साधना के लिए जाना जाता है कामाख्या शक्तिपीठ

मां कामाख्या का पावन धाम तंत्र-मंत्र की साधना के लिए जाना जाता है। कहते हैं कि इस सिद्धपीठ पर हर किसी कामना पूरी होती है। इसीलिए इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है। यहां पर साधु और अघोरियों का सिद्धि प्राप्त करने के लिए तांता लगा रहता है। मंदिर में आपको जगह-जगह पर तंत्र-मंत्र से संबंधित चीजें मिल जाएंगी।

कामाख्या मंदिर का रहस्य ( kamakhya temple mystery )

कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ माना जाता है। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति या चित्र आपको दिखाई नहीं देगी, वल्कि मंदिर में एक कुंड बना है जो की हमेशा फूलों से ढका रहता है। इस कुंड से हमेशा ही जल निकलता रहता है. चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है । 

          काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या माता तांत्रिकों की सबसे महत्वपूर्ण देवी है। कामाख्या देवी की पूजा भगवान शिव के नव वधू के रूप में की जाती है, जो कि मुक्ति को स्वीकार करती है और सभी इच्छाएं पूर्ण करती है।

            माना जाता है, मंदिर परिसर में जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है उसकी हर मुराद पूरी होती है। चूंकि कामख्या देवी के मुख्य मंदिर में मूर्ति नहीं है। वल्कि इस मंदिर के साथ लगे एक मंदिर में आपको देवी कामख्या की एक मूर्ति भक्तों के दर्शन के लिए विराजमान है। 

कामख्या देवी का अनोखा प्रसाद ( kamakhya temple story )

दरअसल यहां तीन दिन मासिक धर्म के चलते एक सफेद कपड़ा माता के दरबार में रख दिया जाता है और तीन दिन बाद जब दरबार खुलते है तो कपड़ा लाल रंग में भीगा होता है। जिसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। माता सती का मासिक धर्म वाला कपड़ा बहुत पवित्र माना जाता है। ये मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है। मां के सभी शक्ति पीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम माना गया है। इस कपड़े को अम्बुवाची कपड़ा कहा जाता है। इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। 

Sep 3, 2023

Aditya-L1 Mission Updates : आदित्य L-one कब तक पहुंचेगा, क्‍या करेगा? ISRO के सोलर मिशन की हर बात जानिए

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने 2 सितंबर को देश का पहला सूर्य मिशन Aditya-L1 लॉन्‍च किया । 11 बजकर 50 मिनट पर इस मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से लॉन्‍च किया गया। Aditya-L1  4 महीने का सफर पूरा करते हुए एल वन पॉइंट तक पहुंचेगा।

Aditya L1 Mission update in hindi
Aditya L1 Mission update 


आदित्य एल-वन पूरी तरह स्वदेशी ( Aditya-L1 Make in India )

भारत का आदित्‍य एल-वन पूरी तरह से स्‍वदेशी बनाया गया है.  मिशन को बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने तैयार किया है. ISRO के मुताबिक, आदित्य एल - वन अपने साथ फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा। इनमें से 4 पेलोड सूरज पर नज़र रखेंगे, बाकी 3 एल-1 पॉइंट के आसपास का अध्ययन करेंगे.


सूर्य मिशन का नाम आदित्‍य-L वन क्यों ? ( Solar Mission's Name Aditya-L1 ? )

जिस स्थान पर आदित्य एल- वन को भेजकर सूर्य पर नजर रखकर अध्ययन किया जायेगा , वह स्थान अंतरिक्ष में 'लाग्रेंज बिंदु 1' के नाम से जाना जाता है। लाग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में वो स्थान हैं, जहां सूर्य-पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण आपस में बैलेंस हो जाता है. आपको बतादें लाग्रेंज बिंदु किसी अंतरिक्ष यान के लिए पार्किंग स्थल का काम करते हैं। चूंकि सूर्य का दूसरा नाम आदित्‍य है, इसका लक्ष्‍य L one तक पहुंचना है, इसलिए इस मिशन को आदित्‍य एल-1 का नाम दिया गया है।


क्‍या है L वन पॉइंट ? What is L1 Point in hindi

आप हम सब जानते हैं धरती से सूरज की दूरी तकरीबन पन्द्रह करोड़ किलोमीटर है। धरती और सूर्य के बीच में पांच लैग्रेंज बिंदु हैं। जो क्रमश: L one,L two, L three, L four और L five के नाम से जाने जाते हैं। इनका नाम 18वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है. L1, L2, L3 स्थिर नहीं है। इनकी स्थिति बदलती रहती है। जबकि  L4 और L5 पॉइंट स्थिर है और अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं। L1 इसका पहला पॉइंट है, जो धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है। L1 पॉइंट को लैग्रेंजियन पॉइंट, लैग्रेंज पॉइंट, लिबरेशन पॉइंट या एल-पॉइंट के तौर पर जाना जाता है।


सूर्य मिशन के लिए L - वन पॉइंट ही क्‍यों चुना ? ( Solar Mission why L1 Point )

L - वन एक ऐसा स्थान है, जहां से सूर्य का चौबीसों घंटे अवलोकन किया जा सकता है। ये वो जगह है जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण के बीच बैलेंस बना रहता है। धरती और गुरुत्वाकंर्षण के बीच बैलेंस होने से एक सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाता है, इस फोर्स की वजह से कोई भी स्पेसक्राफ्ट एक जगह स्थिर रह सकता है। इसके अलावा इस स्‍थान को दिन और रात चक्र प्रभावित नहीं करता। यहां से सूरज सातों दिन और 24 घंटे दिखाई देता है।

    लाग्रेंज बिंदु पर किसी यान को भेजकर वर्षों तक परीक्षण किए जा सकते हैं और कई जानकारियां जुटाई जा सकती हैं। आदित्‍य एल-वन सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस बेस्ड इंडियन लेबोरेट्री होगी।


श्रीहरिकोटा से सैटेलाइट क्यों लॉन्च होता है ? ( Why are launching satellite from SriHarikota )

जब भी भारत में कोई सैटेलाइट लॉन्च किया जाता है , उसमें ज्यादातर सैटेलाइट श्रीहरिकोटा से ही भेजे जाते हैं। दरअसल श्रीहरिकोटा की लोकेशन ही इसका महत्वपूर्ण बिन्दु है। ज्यादातर सैटेलाइट्स पृथ्वी की परिक्रमा भूमध्य रेखा यानि की इक्वेटर के पास ही करते हैं। दक्षिण भारत में बाकी जगह की तुलना में श्रीहरिकोटा इक्वेटर यानी भूमध्‍य रेखा के ज्यादा पास है। इसलिये यहां से लॉन्चिंग करने पर मिशन की लागत भी कम आती है और सक्‍सेस रेट भी ज्यादा होता है। दूसरी तरफ ज्यादातर सैटेलाइट पूर्व की ओर ही भेजे जाते हैं। श्रीहरिकोटा वह स्थान हैं जहां पूर्व की ओर आबादी नहीं है। इसलिए भी यह जगह लॉन्चिंग के लिए बेहतर मानी जाती है ।


आदित्य एल -वन का क्या क्या करेगा? ( Why will works Aditya L1 )

ISRO के द्वारा सूर्य पर जानकारी के लिए भेजा जाने वाला आदित्य L-1, लैग्रेंज बिंदु पर पहुंचने के बाद वहां का अध्ययन करेगा। सूर्य मिशन में भेजे जाने वाले सारे उपकरण वहां से जानकारी प्राप्त कर ISRO को भेजेंगे । इन उपकरणों का काम , सूर्य के आसपास के वायुमंडल का अध्ययन करना।l, क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग की स्टडी , फ्लेयर्स पर रिसर्च करना, सौर कोरोना की भौतिकी और इसका तापमान को मापना।

कोरोनल और कोरोनल लूप प्लाज्मा का निदान करना, इसमें तापमान, वेग और घनत्व की जानकारी निकालना।

सूर्य के आसपास हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता की जांच करना होगा। 


चंद्रयान थ्री की सफलता के बाद एक बार फिर भारत ने दिखा दिया है। " हम किसी से कम नहीं " 

 

Sep 2, 2023

shivagange mahadev बेंगलुरु रहस्य : जब शिवलिंग पर घी से अभिषेक किया जाता है, मक्खन में बदल जाता है।

अनंत और अकल्पनीय रहस्यों से भरे भारत वर्ष में , मन्दिर के चमत्कारों के आगे विज्ञान भी हार जाता है। देश में कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर है ( Miracle of Shiv Temples), जहां विज्ञान की सोच खत्म होने के बाद, रहस्य और चमत्कार शुरू होते हैं। इस Post में हम एक ऐसे ही शिव धाम के बारे में बताने वाले हैं, जो समय की चाल को बदलता है।

Shivgange Hills in hindi
Mystery of Shivgange Hills
नातन धर्म के बारे में आप जितना जानने की कोशिश करते हैं, वह उतनी ही रहस्यमयी और गहरी होती जाती है। समय की चाल को बदलना किसी के वस की बात नहीं, केवल एक ही देव हैं जो समय को बदल सकते हैं, वो हैं कालों के काल महाकाल ( Miracle of Mahakal ) । महाकाल के रहस्य और चमत्कार ( Miracle of shivagange Hills Bengaluru ) के आगे दुनिया नतमस्तक हो जाती है। 

बेंगलुरु से तकरीबन 54 किलोमीटर दूर डोब्बास्पेट के पास शिवगंगे पर्वत शिखर Shivganga hills है। शिवगंगे पहाड़ी की उंचाई समुंद्रतल से 4488 फीट बताई जाती है। यहां उपस्थित मंदिर में होने वाले चमत्कार के जवाब, विज्ञान के पास भी नहीं है। इस 20वीं सदी के दौर में, शिवधाम के रहस्य और चमत्कार आपको हैरान कर देगें। 

शिवगंगे पर्वत ( ShivGange Hills) की दिव्यता वहां जाने वाले यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पर्वत को चारो तरफ से देखने पर इसका रूप बदलता दिखाई देगा। पूर्व की ओर से देखने पर पर्वत, बैल यानीकि नंदी के रूप में, पश्चिम से गणेश के रूप में, उत्तर से सर्प का रूप और दक्षिण से शिव लिंग के रुप में दर्शन होते हैं।


शिवगंगे पर्वत का अदभूत चमत्कार ( Mystery of Shivgange Hills)


काल के चक्र की गति को बदलना, किसी के वस में है तो वो हैं अनन्त कोटि के स्वामी देवों के देव महादेव,  डमरू धारी , नंदी की सवारी करने वाले भोले नाथ की शक्तियों के आगे समय का पहिया उल्टा घूमने लगता है। ऐसा ही चमत्कार शिवगंगे धाम में देखने को मिलते हैं , आस्था और भक्ति के सैलाब में दर्शन करने वाले सभी यात्रियों का मानना ​​है कि जब शिवलिंग पर घी से अभिषेक किया जाता है, तब वहां दिलचस्प चमत्कार होता है, घी मक्खन में बदल जाता है। बताया जाता है 1600 वर्षों से इस मंदिर में यह चमत्कार होता है। आमतौर पर  मक्खन से घी बनते सबने देखा है लेकिन घी से मखन बनते न किसी ने देखा है ना सुना है। इसका जवाब विज्ञान भी नहीं खोज पाया कि घी से मक्खन में कैसे परिवर्तित की विधि क्या है।

अगर इस चमत्कार को अपने आँखो से देखना है तो शिवगंगा मंदिर जाइये और सत्य को परख कर देखिये।



Aug 19, 2023

Nidhivan : जो कई रहस्यों को समेटे हुए है। वो स्थान, जहां आज भी, श्री कृष्ण होते हैं उपस्थिति।

वृंदावन नाम तो सुना ही होगा, वो पवित्र जगह, जो भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की साक्षी हैं। कृष्ण का बचपन, वृंदावन के वन और नंदगांव में गुजरा है। बिहारी की बाललीलाओं के प्रमाण, वृंदावन की धरती पर आज भी मौजुद हैं। कृष्ण की बाल लीलाओं की अनगिनत कहानी और किस्से आपने सुने होंगे। इन्हीं बाल लीलाओं में से कृष्ण की रास लीला के प्रमाण आज भी वृंदावन में मौजूद हैं।आपको बता दें ब्रज में एक दोहा बहुत प्रसिद्ध है। 

Nidhivan in hindi story
Nidhivan 

" वृंदावन सो वन नहीं, कृष्ण नाम सो नाम | राधा सी गौरी नहीं, नंद गांव सो गाम ।। "


कृष्ण की बाल लीलाओं में, एक लीला निधि वन से भी जुड़ी है। निधिवन में मान्यता है आज भी, श्री कृष्ण यहां बचपन की लीलाओं को दोहराते हैं। निधिवन में प्रतिदिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण के उपस्थित होने के प्रमाण भी मिलते हैं। 

         कई प्रमाण और साक्ष्य के आधार पर निधिवन में आज भी, हर रात, कृष्ण-गोपियों संग रास रचाते हैं। यही कारण है की, सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है। इसके बाद निधिवन में कोई नहीं रहता है। निधिवन में दिन में रहने वाले पक्षी भी शाम होते ही इस वन को छोड़कर चले जाते है। निधिवन से जुड़े कई ऐसे रहस्य है, जिनके बारे में हम आपको बताने वाले हैं। 


निधिवन के अंदर रंग महल में प्रतिदिन होता है चमत्कार ( What happens in Nidhivan at night? ) 

रहस्यों से भरे निधिवन के अंदर कृष्ण का रंग महल है। जिसके बारे में मान्यता है की हर रात यहां  राधा और कृष्ण रास रचाते हैं। रंग महल में राधा और श्रीकृष्ण के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं, तो हर कोई हैरान हो जाता है। मंदिर के अन्दर पट खुलने के बाद का नज़ारा कुछ और ही होता है। 


रंग महल का बिस्तर मिलता है अस्त-व्यस्त ( What happened in Nidhivan? ) 

शाम को मंदिर में जो पलंग सजावट कर रखा जाता है । उसमें होने वाले बदलाव सुबह सबको हैरान कर देते हैं। सुबह पांच बजे जब रंग महल के पट खुलते हैं। उस समय बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है।


निधिवन रात में तुलसी के पेड़ बनते हैं गोपियां

निधिवन में पूर्णतया तुलसी के पेड़ हैं। अचरज की बात यह हैं की यहां तुलसी का हर पौधा जोड़े में है। मान्यता है, कि जब श्रीकृष्ण और राधा रासलीला करते हैं, तो ये तुलसी के पौधे गोपियां बन जाती हैं। त्रेता युग से चली आ रही किदवंती के अनुसार ही यहां, रात्रि में रासलीला होती है। और सुबह होने पर तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो जाते हैं। यहां लगे वृक्षों की शाखाएं ऊपर की ओर नहीं बल्कि नीचे की ओर बढ़ती हैं। ये पेड़ ऐसे फैले हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडे के सहारे रोका गया है।


निधिवन के आसपास घरों में नहीं हैं खिड़कियां

निधिवन के आसपास बने घरों में वन की तरफ खिड़कियां नहीं हैं। यहां रहने वाले लोगों का मानना है, कि शाम के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। बताया जाता है, जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया वे अंधे हो गए या फिर पागल हो गए।

      कुछ लोगों ने वन की तरफ बनी खिड़कियों को ईंटों से बंद कर रखा है। जिससे कोई चाहकर भी इस वन की तरफ नहीं देख सके। वृंदावन में ऐसे कई बुर्जुग हैं जो इस वन से जुड़ी कई रहस्यमय कहानियां बताते हैं। 


What happens at night in Nidhivan जो भी देखता है, पागल हो जाता है।

वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है , और सब लोग यहां से चले जाते हैं लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो पागल हो जाता है।

        ऐसा ही एक वाक्या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था, जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रासलीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वह बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। ऐसे कई किस्से यहां के लोग बताते हैं।


हमें कमेन्ट बॉक्स में लिखें। क्या आप भी गए हैं निधिवन?


Aug 15, 2023

Baba Gangu Mehtar : जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों में दबकर रह गईं । ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे - गंगू बाबा।

1857 की क्रांति ( 1857 Kranti ) में शामिल सेनानियों ( freedom fighter ) के कुछ नाम आपको जुबानी याद होंगे, तो कुछ गुम नाम ही रह गए। आज इस Post में एक ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी freedom fighter के बारे में बात करने वाले हैं, जिसने अकेले ही 200 से ज्यादा ब्रिटिश सैनिकों British army को मौत की नींद सुला दिया। गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी ने ब्रिटिश सरकार को अपने साहस और पराक्रम से, अंग्रेजी सेना की रातों की नींद तक उड़ा दी। 

Freedom fighter Gangu mehtar valmiki
Freedom fighter Gangu mehtar 

ब्रिटिश राज की बेड़ियों में जकड़े भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों सेनानियों ने सालों तक संघर्ष किया, अनेकों सेनानियों ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, तब जाकर देश आजाद हुआ। 

       आजादी के इस संघर्ष में कई स्वतंत्रता सेनानियों की मजबूत छवि बनी, जिन्हे आज सब जानते हैं, हालांकि, कई स्वतंत्रता सेनानी ऐसे भी रहे जिन्होंने स्वतंत्रता के संघर्ष में बहुत मूल्यवान आहुति दी, लेकिन जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों में दबकर रह गईं । ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी थे - गंगू बाबा। ( Gangu mehtar ya Valmiki )


कौन थे गंगू बाबा? Who did Gangu Baba  

इस वीडियो में हम बताने वाले है गंगू बाबा की वो पूरी कहानी जो इतिहास के पन्नों में दब चुकी है। गंगू मेहतर को लोग गंगू बाबा के नाम से भी जानते हैं। गंगू बाबा ने 1857 के विद्रोह में अकेले ही 200 से भी ज्यादा ब्रिटिश सैनिकों को मौत की नींद सुला दिया था। गंगू बाबा का कहना था कि,  भारत की माटी में, हमारे पूर्वजों के खून और कुर्बानी की गंध है।  एक दिन हमारा देश गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आज़ादी का उत्सव मनाएगा। 

     गंगू मेहतर का जन्म कानपुर के अकबरपुर में हुआ। उस दौर में जाति को लेकर समाज में कई असमानताएं फैली हुई थीं, जिसका शिकार गंगू भी हुए। चूंकि वो निम्न जाति के थे इसलिए उन्हे पढ़ने-लिखने का अवसर भी नहीं मिल पाया। 

     बताया जाता हैं  स्वतन्त्रता सेनानी गंगू बाबा को पहलवानी का बहुत शौक था। 1857 के उस दौर में,  देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो चुका था। मराठों की हार के बाद अंतिम पेशवा बाजीराव कानपुर के बिठूर आकर बस गए और उन्होंने नाना साहब को गोद ले लिया। बाजीराव के देहांत के बाद अंग्रेजों ने नाना को बाजीराव का वारिस नहीं माना, जिसके जवाब में नाना साहब ने भी अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शरुआत कर दी।

          नाना साहब पेशवा के सेना में गंगू मेहतर भी थे। सैनिकों में बेहतर कुशल प्रदर्शन और पहलवानी से प्रभावित, पेशवा सेना में उन्हे सूबेदार का पद दिया गया। उन्होंने 1857 की लड़ाई में नाना साहब की ओर से अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया और सैंकड़ो सैनिकों को मार गिराया। बताया जाता है कि गंगू ने अकेले ही 200 से भी ज्यादा अंग्रेज सैनिकों को मौत की नींद सुलाया था। उनके इस पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत बुरी तरह सहम चुकी थी। 


हंसते-हंसते चढ़ गए थे फांसी

जंग के दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने सैनानी गंगू मेहतर को धोखे से पकड़कर कारागार में डाल दिया था। बताया जाता है उनको जेल के अन्दर कई तरह की यातनाएं दीं फिर भी अंग्रेज उनकी साहस को नहीं तोड़ पाए। अंत में अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हे फांसी की सजा सुना दी। कानपुर में 8 सितंबर 1859 को गंगू  मेहतर ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। आज 77 स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महान स्वतंत्रता सेनानी को याद कर लेते हैं। 



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Aug 1, 2023

Chamatkar : जहां होती है मनोकामना पूर्ण, पुजारी के आग्रह पर कुंड से निकलता है प्रसाद

भारत की भूमि चमत्कार और रहस्यों ( Miracle ) से भरी हुई है। जहां एक से बढ़कर एक चमत्कारिक और रहस्मयी मन्दिर ( wondrous and mysterious temple )देखने को मिलते हैं। यहां मंदिरों के रहस्य और चमत्कार के आगे, विज्ञान भी फैल हो जाता है। यह post बहुत रोमांचक होने वाला है। इस Post में अक्षरू देवी के चमत्कार और मंदिर के दिव्य और अलौकिक शक्ति के बारे में बताने वाले ( Tells about the miracles of Aksharu Devi and the divine and supernatural power of the temple ) हैं। साथ ही मंदिर से जुड़ी सच्ची घटना की कहानी भी बताएंगे। 

Aksharu mata mandir madiya
achhru mata mandir

मध्य प्रदेश के निवाड़ी रोड पर स्थित तहसील पृथ्वीपुर के पास मडिय़ा ग्राम से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित, अछरू माता का मंदिर बहुत चर्चित ( The temple of Achhru Mata is very popular ) है। अछरू मंदिर टीकमगढ़ ही नहीं वल्कि पूरे बुंदेलखंड ( Tikamgarh and all Bundelkhand ) में दूर दूर तक में चमत्कार ( Miracle ) के लिए जाना जाता है।


हिंगलाज मंदिर पाकिस्तान शक्ति पीठ की पौराणिक कथा

यह मंदिर ही नहीं वल्कि यहां होने वाले चमत्कार किसी रहस्य से ( achhru mata temple miracle and mystery in hindi ) कम नहीं है। मंदिर में होने वाले चमत्कार के आगे विज्ञान भी नतमस्तक हो जाए।  अछरु माता मंदिर में एक ऐसा दिव्य कुंड ( Achru Mata Temple Divya Kund ) है, जो चमत्कार और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है, कुंड सदैव जल से भरा रहता है। हर साल नवरात्रि के अवसर पर ग्राम पंचायत की देखरेख में अछरू माता मेला ( Achhru mata temple fair ) लगता है। जहां हजारों की संख्या में भीड़ आती है। जिसमें दूर-दूर से लोग आकर माता के दरबार में मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि इस कुंड से माता अपने भक्तों को कुछ न कुछ प्रसाद के रूप में देती है। आस्था है, कुंड से निकलने वाला प्रसाद उन ही भक्तों को मिलता है, जिनकी मनोकामना पूर्ण होती है।


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वास्तव में मंदिर में होने वाले चमत्कार आपको हैरान कर देने वाले हैं। जैसा कि आपको बताया मंदिर में कुंड की दिव्यता लोक प्रिय है। अछरूमाता मंदिर में मूर्ति नहीं वल्कि पूजारी के द्वारा माता के आग्रह करने के बाद दिव्य चमत्कार होता है। भक्तों की मन्नत करने के बाद मंदिर में मौजुद पूजारी, माता से प्रार्थना करते हैं। जिसके बाद जो हुआ वो हैरत एंगेज करने वाला होता है। माता के कुंड से प्रसाद के रूप में गरी, सूखे मेवे या कुछ अन्य निकलता है। जो एक चमत्कार और रहस्मय पहली है। 


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अक्षरु माता मंदिर का इतिहास

अक्षरु माता मंदिर का इतिहास 500 साल से भी पुराना है। किदवंती  और कहानियों के अनुशार अछरू माता मंदिर का इतिहास, यादव समाज के गौसेवक अछरू से जुड़ा हुआ है, जिन्हें माता रानी ने अपने दर्शन ही नहीं दिए, बल्कि उन्हें आज भी अछरू माता के नाम से जाना जाता है। 

    सुनी कथा और कहानियों के अनुशार अछरू नामक किसान की गाय और भैंस गुम हो गईं थीं, जिन्हें वह प्रतिदिन जंगल में चराने के लिए लाता था। अक्षरु किसान को भैंसों को ढूंढते-ढूंढ़ते लगभग एक महीना हो गया। किसान थक हार कर जंगल में एक पहाड़ी के ऊपर बैठ गया, प्यास के मारे उसके प्राण निकले जा रहे थे। अचानक एक दिव्य प्रकाश हुआ और देवी मां ने  कुंड में से निकल कर किसान को  दर्शन दिए। कुंड से प्रगट देवी ने किसान से कहा, इस कुंड में से पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो । इसके साथ ही माता ने किसान को उसकी भैंसों का पता भी बता दिया। अछरू नाम के किसान ने कुंड में से पानी पीकर अपनी प्यास को शांत किया। जब किसान ने कुंड की गहराई पता करने के लिए अपनी लाठी कुंड में डाली तो वो लाठी कुंड के अंदर चली गई,  अछरू कुंड में अपनी लाठी छोड़ कर, देवी के बताए स्थान पर गया । जहां उसे उसकी सारी भैंसे मिल गयीं साथ ही वो लाठी जो कुंड में छोड़कर आया था, वो लाठी भी उसी तालाब में मिली। यह देख अछरू यादव किसान देवी की जय जयकार करने लगा। अछरू किसान की यह घटना, लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। बताया जाता है  लोग इस स्थान पर आने लगे और लोगो की मनोकामनाएं पूर्ण होती चली गईं। भक्तों ने उस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवा दिया और उस समय से आज तक मंदिर की पूरी देख रेख और पूजा पाठ होने लगा। आज भी इस मंदिर के चमत्कार के चर्चे चारों तरफ है।


Jul 24, 2023

Hinglag mata Temple : गलाज मंदिर पाकिस्तान शक्ति पीठ की पौराणिक कथा

दुर्गा की 51 शक्ति पीठों में हिंगलाज देवी मंदिर ( Hinglaj devi temple ) पाकिस्तान में सैकड़ों सालों से है। बलूचिस्तान की संकीर्ण घाटी की पहाड़ी गुफा के अंदर बना हिंगलाज मंदिर पाकिस्तान ( Pakistan First's hindu temple ) में सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। हिंगलाज गुफा में विराजमान देवी सती का यह मंदिर हिंगौल नदी के तट पर , मकराना रेगिस्तान के  खेरथार पहाड़ियों की श्रृंखला के अंत में बना है। ( Hinglag mata Temple in pakistan history in hindi ) How to reach Hinglaj Devi temple in Pakistan from India

पाकिस्तान में कितने हिंदु मंदिर ? पाकिस्तान में बचे मन्दिरों के अस्तित्व

        Hinglaj मंदिर, एक छोटी प्राकृतिक गुफा ( cave of hinglaj devi temple) में बना हुआ है। जहाँ एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। शिला सिंदूर, जिसे संस्कृत में हिंगुला कहते है, से पुता हुआ है।


अमरनाथ गुफा, महादेव प्रमुख तीर्थ स्थल


हिंगलाज के आस-पास, गणेश देव, माता काली, गुरुगोरख नाथ दूनी, ब्रह्म कुध, तिर कुण्ड, गुरुनानक खाराओ, रामझरोखा बेठक, चोरसी पर्वत पर अनिल कुंड, चंद्रगोप, खारिवर और अघोर पूजा जैसे कई अन्य भी पूज्य स्थल हैं।


Hindu Tample : महानदी विष्णु का 500 साल पुराना 60 फीट का मन्दिर


पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त की लारी तहलीस में हिंगलाज माता का शक्ति पीठ, कराची से करीब 250 किलो मीटर की दूरी पर, पहाड़ियों के बीच में स्थित है। हिंगलाज माता को यहां हिंगुला माता या नानी का मंदिर भी कहते हैं। Hinglaj Devi, Hingula Devi and Nani Mandir आज भी भारत के गुजरात, राजस्थान, पंजाब और पूरे पाकिस्तान से श्रद्धालू यहां आते हैं। नवरात्रि के अवसर पर हिंगलाज देवी मेला लगता है। यहां तक कि हिंगलाज माता के भक्तों में पाकिस्तान के मुसलिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। वो लोग इस मंदिर को नानी का मंदिर और मां दुर्गा को बीबी नानी कहते हैं।

Pakistan Hindu temples Hinglaj mata
Hinglaj Temple pakistan image 

पाकिस्तान में  शक्ति पीठ की पौराणिक कथा ( Hinglaj mata mandir pakistan )


मां दुर्गा के शक्ति पीठों के बारे में आप सबने सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है, कि इन शक्ति पीठों में से एक पाकिस्तान में भी है। आज भी वहां मां दुर्गा का पूजन होता है। पौरिणिक कथा के अनुसार जब माता सती के अग्नि कुंड में समा जाने के बाद, महादेव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे। किदवंती के अनुशार विष्णू ने महादेव के क्रोध को कम करने के लिए माता के मृत शरीर पर सुदर्शन चक्र चला दिया, जहां जहां माता सती के अंग गिरे, उन स्थानों पर शक्ति पीठ की स्थापना हुई। इनमें से ही मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है हिंगलाज माता शक्ति पीठ ।  मान्यता है कि यहां हिंगलाज में माता सती का ब्रह्मरंध्र अर्थात सिर गिरा था। तब से यहां हिंगलाज माता के शक्ति पीठ की स्थापना हुई है। इस शक्ति पीठ का वर्णन शिव पुराण, देवी भगवती पुराण और कलिका पुराण आदि में मिलता है। हिंगलाज माता के भैरव कोट्टवीशा या भीमलोचन कहे जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहां पर भगवान गणेश, माता काली और गोरखनाथ की धूनी भी स्थापित हैं 

    हिंगलाज माता मंदिर में आस्था केवल हिंदू ही नहीं वल्कि मुस्लिम लोग भी पूजा अर्चना।


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Jul 17, 2023

जहां रस्सियों के सहारे लक्ष्मण जी ने पार की थी नदी, अब बन रहा देश का पहला कांच का पुल

लक्ष्मण झूला( laxman jhula ) उत्तराखंड ऋषिकेश शहर ( Rishikesh city ) में योगभूमि के नाम से विख्यात लक्ष्मण जूला ( Lakshman Jhula ), एडवेंचर के लिए विख्यात है। माना जाता हैं यहां कभी भगवान श्रीराम ( Shree Ram ) के भाई लक्ष्मण ने रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था। 

    उत्तराखंड का ऋषिकेश, टूरिस्ट ( Tourist ) पसंदीदा जगहों में से एक हैं। योगभूमि के रूप में विख्यात ऋषिकेश, उत्तराखंड के टूरिस्ट प्लेस में, टॉप लिस्ट में पहले नंबर ( Top firts city of Uttarakhand ) पर आता है। ऋषिकेश में आपको एडवेंचर करने के लिए कई सारी एक्टिविटी भी मिल जाएंगी, ऋषिकेश में कई विख्यात मंदिर भी हैं।

Lakshman jula
Laxman Jula

जहां रस्सियों के सहारे लक्ष्मण जी ने पार की थी नदी ( Lakshman Jhula )

ऋषिकेश के दो किनारों को जोड़ते दो पुल है। एक का नाम लक्ष्मण झूला, तो दूसरे का नाम है राम झूला। पर्यटकों एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए इन पुलों का  इस्तेमाल करते हैं। भले ही आप सोच रहे हों कि ये पुल कोई आम पुल हैं, लेकिन इसकी खासियत और इतिहास आपकी इस सोच को बदल देगा। लक्ष्मण झूला को इन दिनों बंद कर दिया गया है। पुल में आई दरारों ओर टूटती रस्सियों की वजह से इसे फिलहाल के लिए बंद कर दिया गया और इसकी जगह पर कांच का नया पुल बनाया जा रहा है। 


पाकिस्तान में कितने हिंदु मंदिर ? पाकिस्तान में बचे मन्दिरों के अस्तित्व

देश का पहला कांच का पुल ( India first's Glass Bridge )

ये पुल भारत का पहला कांच का पुल होगा। इस कांच के पुल का नाम बजरंग सेतु होगा। इस झूले को मॉडर्न तकनीकी से लैस किया जा रहा है, लेकिन पुराने लक्ष्मण झूले का इतिहास बहुत पुराना है। 



जूट से लेकर कांच तक के पुल का सफर

लक्ष्मण झूला ( Lakshman Setu )दो किनारों के बीच का सेतु था। पर्यटकों के लिए तो ये बहुत ज्यादा पसंदीदा स्थान था। दरअसल पहले यह जुलता पुल रस्सियों और फिर तारों का बना था।  गंगा नदी ( Ganga river ) के ऊपर बना यह पुल 450 फीट लंबा झूलता हुआ पुल, शुरू में जूट के रस्सों से बना था, लेकिन बाद में इसे लोहे की तारों से मजबूत बनाया गया। इस पर खड़े होकर आपको दूर तक मां गंगा का कलकलाता जल दिखाई देगा। अब इस पुल की जगह कांच के पुल ( Glass bridge ) का निर्माण हो रहा है। नई तकनीकी से लैस ये बनने वाला पुल और भी ज्यादा आकर्षक होगा। 


May 28, 2021

5G network trial को मिली मंजूरी। जानिए 5g network speed क्या है।

देश वाशियों के लिए internet speed और 5G network को लेकर खुसखबरी है। भारत में जल्द 5G internet का traile शुरू होने वाला है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) ने देश की तीन प्रमुख कंपनियों रिलायंस जियो ( Reliance JIo ) , भारती एयरटेल ( Airtel ) और वोडाफोन आइडिया ( VI ) को 5G स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया है। 5G स्पैक्ट्रम आवंटित होने के बाद भारत ( 5g network trial in india ) में 5G network का रास्ता साफ हो गया है। 

5G network trial in india launch date
5G network in india.jpg

5G network क्या है ? 

​देश में 5G लॉन्च होने होने जा रहा है। आपके पास 5G network को लेकर काफी सवाल भी होंगे। ज्यादातर 5G  network क्या है ? या 5G network Speed  कितनी होगी ? एक इंटनेट उपभोक्ता होने के नाते आपका हक़ भी बनता है, कि आपको नेटवर्क के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। आइये जानते हैं 5G नेटवर्क और उसकी स्पीड के के बारे में।
    दरसल  5G  network पांचवीं जेनरेशन की एक टेक्नॉलजी है, जो फास्ट मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क पर काम करती है। आज आप जिस 4G नेटवर्क का Use कर रहे हैं , उससे 10  गुना ज्यादा तेजी से 5G network में इंटनेट की स्पीड मिलेगी। देश में 5G network launch ( 5G network launch in india ) होने से पहले network की टेस्टिंग के काम की मंजूरी, डिपार्मेंट ऑफ़ टेलीकॉम  ( DoT ) के द्वारा दी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक  5G टेक्नोलॉजी 4G के मुकाबले 10 गुना ज्यादा डाउनलोडिंग स्पीड के साथ ही स्पेक्ट्रम एफिशियन्सी 3गुना बढ़ा देगी।   

5G ट्रायल कितने समय के लिए  मंजूरी

जैसा कि आपको पता है डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकॉम ( DoT ) ने देश  के कई शहरों में 5G नेटवर्क ट्रायल को मंजूरी  दे दी है। आपको बतादें DoT ने 5G ट्रायल के लिए मंजूरी केवल 6 महीने के लिए दी है। टेलीकॉम कंपनियों को शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में भी ट्रायल करना होगा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बैंग्लोर, गुजरात, हैदराबाद जैसी कई लोकेशन पर 5G ट्रायल किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक 5G की टेस्टिंग केवल शहरों तक सीमित नहीं रहेगी वल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका ट्रायल शुरू किया जायेगा। दैनिक भास्कर की खबर मुताबिक पंजाब , हरियाणा और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ को 5G ट्रायल से दूर रखा गया है। 

इन कंपनी को मिली मंजूरी 

डिपार्टमेट ऑफ़ टेलीकॉम ( DoT ) ने रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को 5G  स्पेक्ट्रम की मंजूरी दी है। आपको बतादें की 5G नेटवर्क की टेस्टिंग Reliance Jio और bharti Airtel के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इन दोनों कंपनियों के पास पहले से अपना 5G Network तैयार हैं। Reliance Jio ने थोड़े समय पहले 2021 के अंत तक 5G network को लॉन्च करने  दावा भी किया था। इस तरह साल 2021 के अंत तक देश में 5 लॉन्च होने की संभावना को हरी झंडी मिल सकती है। 

किन देशों में है 5G network ? Which country 5g phone launch?

जहाँ एक तरफ DoT की मंजूरी  मिलने के बाद 5G  network  testing शुरू होगी, लेकिन दूसरे देशों में 5G स्पीड पहले काम कर रहा है। विश्व में सबसे पहले 5G नेटवर्क को लॉन्च करने वाले देश दक्षिण कोरिया, चीन और USA हैं। हम भारतीय 5G network की तरफ अब बढ़ रहे हैं , लेकिन विश्व के कई छोटे देश 5G network speed को लॉन्च कर चुके हैं।  5G network विश्व के 68 देशों  लॉन्च हो चूका है जिसमे - आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया,न्यूजीलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया, नार्वे, आयरलैंड, श्री लंका, बहरीन, इजराइल, ओमान, सूरीनाम, बेलारूस, इटली, फिलिफिंस, स्वीडन, बेल्जियम, जापान, स्विटरजलैंड, पोलैंड,  ब्राजील, कजाकिस्तान, पुर्तगाल, ताइवान, कनाडा, कुवैत, तिजकिस्तान, कतर, चीन, लाओस, रोमानिया, थाईलैंड जैसे कुल 68 देश शामिल हैं।  

May 24, 2021

अगर आपके पास है राशन कार्ड प्रदेश सरकार देगी 4000 रूपये

कोरोना वायरस ने लोगों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया है। लमिलनाडु ने अपने प्रदेश वाशियों की लिए 4000 रूपये की धनराशि देने का ऐलान  किया है। दरसल तमिलनाडु सरकार की ये स्कीम राशन कार्ड धारकों को कोरोना राहत पैकेज ( Tamil government corona package ) के तौर पर दी जाएगी। 


      तमिलनाडु वर्तमान मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के शपथ लेने के बाद राशन कार्ड धारकों को 4,000 रूपये देने की घोषणा की है। रिपोर्ट के मुताबिक राशन कार्ड धारकों के लिए प्रदेश सरकार के द्वारा दी जाने वाली राशि को कोरोना पैकेज का नाम दिया गया है। ( Tamil government corona scheme  ) 

Tamil nadu government scheme ration card 2021

प्रदेश सरकार के द्वारा तमिलनाडु राशन कार्ड धारकों को 4000 रूपये किस्तों के रूप में दिया जायेगा। Tamil government corona scheme 2021 की पहली किस्त मई महीने में राशनकार्ड धारकों के बैंक खाता ( Bank Account ) में ट्रांसफर की जायगी। अमर उजाला में छपी खबर के मुताबिक Tamil government corona scheme 2021 का फायदा सीधे  2.7 करोड़ लोगों को मिलेगा। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री स्टालिन ने घोषणा की थी कि राज्य के सभी कोरोना मरीजों को राज्य कर्मचारी बीमा योजना के तहत मुफ्त इलाज दिया जायेगा। 

पहले भी प्रदेश सरकार के द्वारा दी जा चुकी सहायता 

आपको बतादें की पिछले साल तमिलनाडु सरकार ने पोंगल त्योहार मनाने के लिए दिसंबर 2020 में 2500 रुपये देने की घोषणा की थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में एआईएडीएमके सरकार की तरफ से हर राशनकार्ड धारक को एक किलो चावल और एक किलो चीनी के साथ 100 रूपये नगद राशि दी जा रही थी। 2018 में इस राशि को बढ़ाकर 100 रुपये नगद कर दिया था। 2021 में एम के स्टालिन के शपथ लेते ही इसे 4000 रूपये कर दिया है।  

Jun 27, 2020

Replace it app : कैसे करेगा China app की छूट्टी ? जानिए कुछ जरुरी बातें


  • Replace It App Google Play Store पर उपलब्ध
  • Non indian App को पहिचान कर देगा उसकी जानकारी 
  • China App के बदले Indian App को करेगा Replace 
  • Replace It App Bar Code Scan उपलब्ध 
  • इस Apps में Covid 19 के अपडेट आंकड़े भी उपलब्ध होने का दावा |

एक तरफ दुनिया को कोरोना का दर्द और वहीँ दूसरी तरफ लद्दाख के गलिवान घाटी, भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के बाद भारत में चीन के सामान का बहिष्कार जोरों पर है | ये समय भी ऐसा है की हम भारतियों को चीन के सामान को खरीदने से बचाना चाहिए | चलिए सामान तो ठीक था परन्तु आपके मोबाइल में चीन के बहुत सारे app भी इंस्टाल हैं | क्या आपको पता है, चीन के जिन apps का इस्तेमाल आप कर रहे हैं उनसे भी चीन लाखों रूपये का रेवेन्यु बनाता है | हम भारतियों को चीन के Apps को अपने मोबाइल में से Uninstall कर देना चाहिए | लेकिन क्या उसी तरह के apps आपको मिलेगें | तो हाँ क्योंकि China Apps को indian apps में Replace करने के लिए Repalce It App का इस्तेमाल कर सकते हैं | मीडिया न्यूज़ के अनुशार Replace It App पूर्ण रूप से भारतीय है |


how to use replace it apps
Replace it apps

क्या Replace It App Google Play Store पर उपलब्ध है ?

जी हाँ Replace It App Google Playstore पर उपलब्ध है | अभी तक इस app ( Replace it ) को 4.9 की Star Rating के साथ हजारों यूजर Download कर चुके हैं | Replace It app के आने के बाद एक साथ उसके यूजर की संख्या बढ़ती जा रही है | आपकी जानकारी के लिए बतादें की Replace it App गूगल प्ले स्टोर पर Free में उपलब्ध है | आपको इसके लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा |
replace it app on google play store
Replace it app on Google Play store

Replace It App कैसे करेगा चाइना App की छुट्टी |

भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव में चीन में बनी वस्तुओं के बहिष्कार के साथ है | देश में चाइना के ऐप के बहिष्कार को लेकर भी मांग तेज हुई है | देश में लाखों लोगों के द्वारा चीन के apps को Uninstall भी किया जा चूका है | China Apps के delete होने बाद उसी तरह के apps की जानकारी के लिए Replace It App बनाया गया है | मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक Replace It App मोबाइल में इनस्टॉल App किस देश का बना है, के बारे में यूजर को जानकारी देता है | साथ ही उसके जैसे Features वाला दूसरा और सामान फीचर ( same features ) वाला app कौन-सा है? के बारे में भी बताता है | 


Replace it App किस देश है और इसे किसने बनाया है| 

आपका सवाल है, की इस ऐप( Replace it App ) को कहाँ बनाया गया है और इसको किसने बनाया है | आपके इस सवाल का जबाव में आपको बतादें Replace it Apps को महाराष्ट्रा के विदिशा नंदवाना निवासी अंकित ने बनाया है | रिपोर्ट के मुताबिक अंकित ने Replace it Apps को चार दिन में बनाया है | उनका कहना है, कि इस ऐप ( Replace it App ) में पांच फीचर है | 

Repalce it app Features क्या हैं ?

अगर Replace it App फीचर के बारे में बात करें, तो Replace it App में 5 Features हैं | जानकारी के मुताबिक पांच फीचर वाले इस app ( Replace it App ) को मोबाइल में Install करने के बाद आपके मोबाइल में उपलब्ध non indian apps के बारे में जानकारी प्रदर्शित होगी | दूसरे फीचर में उसके समान दिखने वाले apps और तीसरे Popular indian apps , नंबर चार में Scan Product Barcode और पांचवे features में Covid 19 Updates की जानकारी उपलब्ध होगी | 

Jun 22, 2020

जगन्नाथ रथ यात्रा 2020 : सुप्रीम कोर्ट की जगन्नाथ यात्रा को हरी झण्डी , जानिए क्यों मनाई जाती है रथ यात्रा ? ......

हर साल पुरी में बड़े धूम-धाम से मनाई जाने वाली पुरी की जगन्नाथ रथ  यात्रा कोरोना काल के बीच करने न करने को लेकर अनेक मतभेदों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है | पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा 2020 को कुछ शर्तों के साथ निकला जायेगा | ज्ञात हो इस बार पुरी में रथ यात्रा का आयोजन 23 जून 2020 को होना है | 
रथ यात्रा 2020 को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है | सुप्रीमकोर्ट ने कोरोना महामारी को देखते हुए रथ यात्रा 2020 को लेकर कुछ शर्तों के साथ आयोजन करने को कहा है | सुप्रीमकोर्ट के द्वारा कहा गया है ' राज्य और मंदिर न्यास के सहयोग से नागरिक स्वास्थ्य पर समझौता किये बिना रथ यात्रा 2020 का आयोजन किया जा सकता है | 
पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 

रथ यात्रा 2020 पर रोक क्यों ?

ओड़िसा के नयागढ़ जिले के एक 19 साल के छात्र ने रथ यात्रा 2020 को लेकर याचिका दायर कर पुनर्विचार की अपील की थी | मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आफताब हुसेन नामके 19 वर्षीय छात्र ने पुरी की 2020 रथ यात्रा को लेकर दिए गए फैसले पर फिर से गौर करने के लिए कहा गया था | आपको बतादें याचिकाकर्ता ने  covid 19 का हवाल देते हुए रथ यात्रा को लेकर पुनर्विचार के लिए अपील की थी |

रथ यात्रा 2020 पर क्या कहा सुप्रीमकोर्ट ने ?

कोर्ट ने पूरी की जगन्नाथ यात्रा 2020 को लेकर हरी झंडी दे दी है | हरी झंडी देने के साथ साथ ही सुप्रीमकोर्ट के द्वारा आदेश में कहा है ' केंद्र और राज्य सरकार Covid 19 की गाइड लाइन के तहत रथ यात्रा का आयोजन करें | सुप्रीमकोर्ट ने कहा की यात्रा के दौरान यदि स्थिति हाथ से बहार जाती दिखाती है, तो राज्य सरकार उस पर रोक लगा सकती है | सुप्रीमकोर्ट के द्वारा कहा गया है , कि कोलेरा और प्लेग जैसी महामारी के बीच भी रथ यात्रा को सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच निकला गया था |  

रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है ? 

'' पूरी में रथ यात्रा क्यों और कब मनाई जाती है ? '' ऐसे शायद कुछ लोग ही होंगें जिन्हें इसके बारे में पता नहीं होगा | रथ यात्रा को निकालने का कारण क्या है? और इसे क्यों मनाया जाता है | इन सबसे पहले आपको बतादें की रथ यात्रा भारत में मनाया जाने वाला बहुत ही प्रसिद्ध त्यौहार है | उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर जगन्नाथपुरी में भगवान जगन्नाथ के भव्य मंदिर से पुरी में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है| आषाढ़ शुक्ल की द्वितीय से दशमी तक लोगों के रथ यात्रा के पर्व को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | 800 साल से मनाई जाने वाली रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु इक्कठे होते हैं | 
रथ यात्रा को मनाने के पीछे कुछ मान्यताएं हैं | कहा जाता है, की भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने भगवन जगन्नाथ से द्वारका दर्शन की इच्छा जाहिर की थी | माना जाता की भगवान जगन्नाथ ने बहन सुभद्रा की इच्छा को लेकर रथ तैयार करवाया और सुभद्रा को रथ में बैठाकर नगर में भ्रमण कराया था | 
कुछ मान्यताओं के अनुशार नीलांचल के राजा को समुद्र में एक विशालकाय काष्ठ दिखाई दिया था| कुछ सोच विचार के बाद राजा ने उस काष्ठ से विष्णु मूर्ति निर्माण कराने का निर्णय लिया | प्रभु की माया से बढ़ई के रूप में विश्वकर्मा स्वयं उपस्थिति हो गए | विश्वकर्मा एक शर्त पर ही मूर्ति के निर्माण के लिए राजी हुए | उनकी शर्त थी कि वह जहाँ मूर्ति का निर्माण करेंगें उस जगह किसी का प्रवेश नहीं होगा |  राजा ने वृद्ध बढई की बात मान ली और एकांत जगह पर मूर्ति निर्माण के लिए विशालकाय काष्ठ के साथ विश्वकर्मा जी को छोड़ दिया | बताया जाता है की आज जिस जगह जगन्नाथ मंदिर है, यह वही जगह है जहाँ मूर्ति निर्माण का कार्य किया जा रहा था | गलती से उस जगह महारानी प्रवेश कर गईं | जहाँ विश्वकर्मा के द्वारा मूर्ति निर्माण का कार्य किया जा रहा था | महारानी को बढई तो कहीं नहीं मिला लेकिन उसके द्वारा निर्मित अर्धनिर्मित 3 काष्ठ की मूर्ति मिली | जो भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम की थीं |राजा के दुखी होने पर आकाशवाणी हुई की दुखी मत हो हम इसी रूप में रहना चाहते हैं | आज भी वहीँ अर्धनिर्मित मूर्तियाँ मंदिर में शोभित हैं | 
             नगर देखने की इच्छा पर बहन सुभद्रा को श्री जगन्नाथ और बलराम ने रथ में बैठकर नगर भ्रमण कराया था | बहन सुभद्रा की रथ यात्रा पूरी में हर बर्ष बड़े उत्सव के साथ मनाई जाती है |  

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