पिछले कुछ दिनों से भारत चीन के बीच विवाद में गलवान घाटी ( India China Galwan Valley dispute ) चर्चा का विषय है | अगर गलवान घाटी के इतिहास के पन्नो को पलट कर देंखे तो चीन पहले से इस घाटी पर नजर जमाये हुए है | अभी जो खूनी खेल चीन की सेना के द्वारा भारतीय सेनिकों के साथ खेला गया | वह पहली बार नहीं है | क्योंकि ड्रेगन ( चीन ) पहले भी इस घाटी को लेकर उत्पाद मचाता रहा है | इतिहास की बेहद दर्दनाक जगह गलवान घाटी ( Galwan Valley ) में पहली बार चीन की सेना ने भारतीय सेनिकों ( Indian Army ) पर वार नहीं किया अपितु बर्ष 1975 में भी इसी गलवान घाटी में घात लगाकर बैठे चीनी सैनिकों ने गस्त पर निकले असम रायफल्स के जवानों पर हमाल किया था | एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस समय भी हमारी सेना के 4 जवानों को वीरगति की प्राप्ति हुई थी | 1962 के युद्ध के समय गलवान घाटी उन प्रमुख स्थानों में था , जहाँ भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच युद्ध हुआ था | उस समय भी भारतीय सेना की पोस्ट पर चीन की सेना के द्वारा चुपके से हमला बोला गया था | चीन अक्सर गलवान घाटी में 1962 , 1975 और 2020 तीनों बार ही भारतीय सेना पर धोके से वार करता आ रहा है | भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झडप ने एक बार फिर साबित कर दिया है, कि '' हिंदी चीनी भाई-भाई " की दुहाई देने वाला चीन, पीठ पीछे वार करता है | गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच हुई झडप में देश ने अपने 20 जवानों को खो दिया है | सैनिकों की शहादत पर देश की जनता के बीच गुस्सा है | देश की जनता हर हाल में सेना के साथ खड़ी है |
गलवान घाटी के इतिहास और गलवान घाटी का नाम कैसे गलवान घाटी पड़ा के बारे में जानना चाहें तो आपको बात दें, "गुलाम रसूल गलवान के नाम पर" इस इस घाटी का नाम गलवान घाटी रखा गया था | गलवान ने 1899 में सीमा पर मौजूद नदी के श्रोत का पता लगाने वाली टीम का नेत्रित्व किया था| कुछ जानकारों के मुताबिक चरवाहों और और व्यापारियों को लुटाने वाले गिरोह को गलवान कहा जाता था | गुलाम रसूल गलवान ने अपनी किताब में लिखा है, ' उसके पूर्वज अमीरों को लूटकर, गरीबों की मदद करते थे | लद्दाख में गलवान घाटी से गुजरने वाले काफिलों को गलवान समुदाय के द्वारा लूटने की घटनों के चलते भी घाटी का नाम गलवान पड़ा था |
गलवान घाटी भारत के लिए रणनीति के हिसाब से बहुत ही अहम् है | यहाँ की ऊँची- ऊँची पहाड़ियां सेना को एडवांटेज देती हैं | वहीँ गलवान घाटी में भारत ने सेना को मजबूती देने के लिए सडक का निर्माण भी कर रखा है | दारबुक-श्योक-दौलत-बेग ओल्डी रोड कराकोरम के पास तैनात जवानों तक सप्लाई पहुँचाने के लिए बेहद अहम् है | वहीँ सीमा के पास बहती नदी वोट से पेट्रोलिंग के जरिये भी अहम् मानी जाती है | गलवान घाटी का पूरा इलाक लद्दाख में आता है | यहाँ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) अक्साई चीन को भारत से अलग करती है | ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख़ तक फैली है | यहाँ चीन से कुछ कूटनीति तरीके से कुछ क्षेत्र पर कब्ज़ा भी कर रखा है | इसके आसपास विवाद क्षेत्रों में चीन की सेना के द्वारा भारतीय सेनिकों को उकसाने के लिए टेंट लगाये जाते हैं | जिसका विरोध भारतीय सेनिकों के द्वारा किया जाता रहा है |
Galwan valley |
गलवान घाटी का इतिहास क्या है ?
( What is the history of Galwan Valley? )गलवान घाटी के इतिहास और गलवान घाटी का नाम कैसे गलवान घाटी पड़ा के बारे में जानना चाहें तो आपको बात दें, "गुलाम रसूल गलवान के नाम पर" इस इस घाटी का नाम गलवान घाटी रखा गया था | गलवान ने 1899 में सीमा पर मौजूद नदी के श्रोत का पता लगाने वाली टीम का नेत्रित्व किया था| कुछ जानकारों के मुताबिक चरवाहों और और व्यापारियों को लुटाने वाले गिरोह को गलवान कहा जाता था | गुलाम रसूल गलवान ने अपनी किताब में लिखा है, ' उसके पूर्वज अमीरों को लूटकर, गरीबों की मदद करते थे | लद्दाख में गलवान घाटी से गुजरने वाले काफिलों को गलवान समुदाय के द्वारा लूटने की घटनों के चलते भी घाटी का नाम गलवान पड़ा था |
Gulam Rasul Galwan |
भारत चीन गलवान घाटी विवाद क्यों ?
Why India China Galwan Valley dispute?
गलवान घाटी का इतिहास क्या है ? चीन ने कब कब गलवान घाटी में भारतीय सेनिकों पर किया हमला ?
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