नवरात्रि में माँ दुर्गे के सभी रूपों की पूजा अर्चना की जाती है । माना जाता है की नवरात्रि का व्रत विशेष फलदायी होता है। नव रात्रि का व्रत करने से मनुष्य के सभी कष्टों का हरण होता है, जीवन सुखी समृद्धशाली होता है तथा व्रत रखने वाले के घर में सभी तरह के दोष नष्ट हो जाते हैं।
नवरात्री में देवी के साथ हनुमान जी और भैरबनाथ की पूजा करना भी बिशेष फलदायी है।
व्रत करने के नियम ( vrat karne ke niyam)
व्रत करने वाले को चाहिए की वह मन , कर्म , वचन आदि में शुद्धता बनाये रखे । किसी भी तरह का मन में पाप और बाणी से किसी के बारे में अपशब्दों का प्रयोग न करे।
व्रत करने वाले को चाहिए की नित्य जिस समय पर पूजा करता है उसी समय पर करनी चाहिए। ऐसा नहीं की आज 8 बजे और कल 11 बजे।
पूजा करते समय देवी माँ के मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए।
नवरात्री के दिनों में घर में किसी भी तरह की कलह या झगड़ा नहीं हो। माता प्रेम और भक्ति की भावना से ही अपने भक्त केघर आती हैं ।जहाँ कलह होता है वहां माता का वास नहीं होता है।
नवरात्री के दिनों में घर में कलश की स्थापन करनी चाहिए।
घर में किसी भी तरह का मदिरा पान न हो इसका विशेष ध्यान रखें।
घर में किसी भी तरह का मदिरा पान न हो इसका विशेष ध्यान रखें।
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