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Oct 2, 2017

रावण के ख़ौफ़ में जीता है एक गाँव , नहीं किया जाता पुतला दहन

दुनिया में आपने कई रहस्य सुने होंगे , चमत्कार देखे होंगे , कहानी सुनी होंगी । आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमय स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं , जिसे सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे । आप सोचने लगेगें की ऐसा भी हो सकता है , तो चलिए हम आपको उत्तर प्रदेश के नोएडा से लगभग 10 किमी दूर बसा एक गाँव में ले चलते है , जिसका नाम है बिसरक । जहाँ लोग राम को नहीं बल्कि रावण को अपना आराध्य मानते है । यहाँ दसमी के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता है । जब देश के लगभग सभी क्षेत्रों में विजय दसमी के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है । तब यहाँ के गावं वासी अपने गाँव में मातम मनाते हैं । ऐसा माना जाता है , की बिसरक गांव रावण की जन्मभूमि है । रावण के पिता



 विश्रवा यहाँ के निवासी थे और जाति से ब्राह्मण । रावण के पिताको राक्षसी राजकुमारी कैकसी से प्रेम हो गया था । ब्राह्मण विश्रवा ने कैकसी से शादी की । माना जाता है की रावण, कुम्भकरण, विभीषण, और उनकी बहन सुपर्ण खां का जन्म इसी गांव में हुआ था।
   पुरे देश में विजय दसमी के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है की राम ने रावण को मारकर बुराई पर अच्छाई की विजय की मिसाल कायम की थी ।  यह त्योहार देश के सभी क्षेत्रों में धूम धाम से मनाया जाता है ।तो वहीँ इस गाँव में रामलीला का मंचन नहीं किया जाता है  । इस गांव से कई ऐतिहासिक कहानियां जुडी है।
    रावण के पिता ने बिसरब गांव में एक शिवलिंग की स्थापना करवाई थी । जिसका उल्लेख शिव पुराण में भी है। यहाँ का शिव मंदिर काफी प्राचीन माना जाता है । गाव में एक रावण का मंदिर भी जहाँ लोग रावण की पूजा अर्चना करते है।
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अगर गांव में पुतला दहन तो हो जाती है मौत
 
गांव वालों का ऐसा मानना है कि यदि गांव में पुतला दहन किया गया तो यहाँ किसी न किसी सख्स की मौत हो जाती है। गांव वालों ने बताया की यहाँ 60 साल पहले रामलीला और  पुतला दहन किया गया था । तब दो पात्रों की अचानक मौत हो गई  थी।

रावण की आत्मा की शांति के लिए
राक्षस राज रावण की आत्मा की शांति के लिए , शिवजी  के भव्य मन्दिर पर हवन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है । नवरात के दिनों में यहाँ बलि देने की प्रथा भी काफी समय से चली आ रही है।

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