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Jul 24, 2022

जानिए : कलौंजी के फायदे , तत्व and कलौंजी का सेवन कैसे करें?

कलौंजी ( Nigella Benefits ) कलयुग में धरती पर संजीवनी है। इसको लेकर एक कहावत भी प्रचलित है। " कलोंजी ( Nigella Benefits ) एक फायदे अनेक " 

     आज इस पोस्ट में हम आपको कलौंजी के फायदे के साथ ही अन्य और बिंदुओं पर चर्चा करेगें। इस पोस्ट में जानेगें कलोंजी कैसी होती , इसके फायदे क्या हैं ? इस पोस्ट में कलौंजी के पौधे एवं बीज किन - किन रोग में लाभ हो सकता के बारे में विस्तृत रूप में जानेगें। आपको यह भी जानना जरुरी हैं की कलौंजी में कौनसे तत्व पाए जाते हैं। 

कैसा होता है कलौंजी का पौधा ? ( How is nigella plant? )

कलौंजी का पौधा सौंफ के पौधे से थोड़ा छोटा होता है। इसके फूल हल्के नीले व पीले रंग के और इसके आकार तारे के समान होते हैं। कलौंजी के घरों में होते हुए भी आप इसके गुणों से अब तक अनजान है। पूरी तरह संतृप्त किए गए बीज में जिंदगी की अत्यधिक ताकत होती है। कलौंजी ( Nigella seeds ) के सेवन से आपका भविष्य रोग मुक्त बनता है।

कलौंजी में पाए जाने वाले तत्त्व  

कलौंजी को रोमन कोरिएंडर, ब्लैक सीसेम, ब्लैक क्यूमिन, ब्लैक कैरावे तथा अनियन सीड के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल औषधि, मसाले तथा सौंदर्य प्रसाधनों के तौर पर किया जाता है। 
kalonji seeds and Oil

कलौंजी का सेवन कैसे करें? ( How to use Kalonji ) 

कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है। एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें। पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पीएं।दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पीएं। कलौंजी को ग्राइंड करें तथा पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।कलौंजी को ब्रैड, पनीर पर छिड़क कर भी  सेवन कर सकते हैं | 

अध्ययन क्या कहते हैं 

डायबिटीज : प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है। 
मिर्गी : 2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।
उच्च रक्तचाप : 100 या 200 मिलीग्राम कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है। 
दमा : कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग इसके फूल सर्दी की शुरुआती अवस्था में और फल सर्दियों में लगते हैं। फूल के गिरने के बाद इसमें आधे इंच लंबे काले फल लगते हैं। फल के अन्दर काले या गहरे भूरे रंग के बीज होते हैं जो तीखा और सुगंधित होता है। इस बीज को ही कलौंजी कहते हैं। बीज 2 से 3 मिलीमीटर लंबे और 2 मिलीमीटर चौड़े होते हैं। बीज ऊपर से खुरदरा और अन्दर से चिकना होता है। कलौंजी के पत्ते एक साथ जुड़े रहते हैं। 
           कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करने वाला और रक्तवाहिनी नाड़ियों को साफ करने वाला होता है। इसके अलावा यह खून में मौजूद दूषित व अनावश्यक द्रव्य को भी दूर करता है। कलौंजी का तेल सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लेने से बहुत से रोग समाप्त होते हैं। गर्भावस्था के समय स्त्री को कलौंजी के तेल का उपयोग नहीं कराना चाहिए। इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है। कलौंजी मूत्र लाने वाला, वीर्यपात को ठीक करने वाला और मासिक-धर्म के कष्टों को दूर करने वाला होता है। 
            कलौंजी का प्रयोग मसाले और अनेक रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। कलौंजी का प्रयोग यूनानी दवाओं को बनाने में ज्यादा किया जाता है। 
"मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है.....! " 
कलौंजी के बीजों का तेल भी बनाया जाता है जो रोगों के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसका तेल न मिलने पर कलौंजी से काम चलाया जा सकता है।कलौंजी वनस्पति पौधे के बीज है और औषधियों के रूप में बीजों का ही प्रयोग किया जाता है। अत: कलौंजी के बीजों को बहुत बारीक पीसकर सिरका, शहद या पानी में मिलाकर उपयोग किया जाता है |कलौंजी के तेल में एक अलग प्रकार की चर्बी के टुकड़ा होता है। लिर्नोलेटिक टुकड़ा 60 प्रतिशत और पाश्मेहिक टुकड़ा लगभग 11 प्रतिशत इसमें प्राप्त हैं। इसलिए इसमें स्वतंत्र अम्ल 40 अथवा उससे भी ज्यादा हो सकते है। यह कार्बनिक तेल को आसानी से पानी के रूप में बदल देता है। अधिकतर कलौंजी के बीजों को ही औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके बीजों में एक सेपोनिन नामक पदार्थ होता है। इसके बीजों में निजेलीन नामक कडुवा पदार्थ भी होता है।

विभिन्न भाषाओं में कलौंजी के नाम :- 

हिन्दी में कलौंजी या मंगरैला कहते है| अंग्रेजी में स्माल फनेल, संस्कृत में इसे कलवंचिका और कालाजाजी बंगाली में मुगरेला. गुजराती में कलौंजी, मराठी में कलौंजी , लैटिन में नाइगेला सेटाइवा आदि नाम है ... 

कलौंजी का  तेल कैसे बनाया जाता है ?

कलौंजी का तेल कैसे निकला जाता है?  इसके बारे में भी आपको अवगत कराते है| कलौंजी का तेल बनाने के लिए 250 ग्राम कलौंजी पीसकर ढाई लीटर पानी में उबालें। उबालते-उबलते जब यह केवल एक लीटर पानी रह जाए,  अब इसे ठंडा होने दें। कलौंजी को पानी में गर्म करने पर इसका तेल निकलकर पानी के ऊपर तैरने लगता है। इस तेल पर हाथ फेरकर तब तक कटोरी में पोछें जब तक पानी के ऊपर तैरता हुआ तेल खत्म न हो जाए। फिर इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और इसका प्रयोग औषधि के रूप में करें।

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