माना जाता है की प्राचीन काल में महिषासुर ने जीवों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया था। महिषासुर ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर अत्यंत वलसाली हो गया था। उसने देवों को परास्त कर इंद्रलोक indralok पर भी अधिकार कर लिया था। पृथ्वी के सभी प्राणी ऋषि मुनी आदि सभी महिषासुर के पापों के कारण दुःखी थे। ऋषि मुनी यज्ञ नहीं कर पाते दैत्य उस यज्ञ में मांस आदि डालते थे । महिषासुर का पाप चरम पर था।
और दूसरी तरफ देवता भी महिषासुर के अत्याचार से दुःखी थे ।मान्यता है की सभी देवताओं ने मिलकर त्रिदेवों को पुकारा और महिषासुर का वध कर फिर से स्वर्ग देवताओं के हवाले करने की बात कई । मान्यता है तभी एक एक नौ साल की कन्या की उत्पति हुई। इस कन्या का मुख भगवान संकर के तेज से, यमराज के तेज से केश सांध्य के तेज से भौहें, अग्रिम के तेज से नेत्र, वायु के तेज से कान , प्रजापति के तेज से दांत विष्णु और अन्य देवताओं के तेज से उस नौ साल की कन्या रूपी दुर्गा का जन्म हुआ। दुर्गा durgaa ने महिषासुर का वध कर पृथ्वी पर फिर से असत्य पर सत्य की विजय कायम की।
Mahishaasur vadh |
और दूसरी तरफ देवता भी महिषासुर के अत्याचार से दुःखी थे ।मान्यता है की सभी देवताओं ने मिलकर त्रिदेवों को पुकारा और महिषासुर का वध कर फिर से स्वर्ग देवताओं के हवाले करने की बात कई । मान्यता है तभी एक एक नौ साल की कन्या की उत्पति हुई। इस कन्या का मुख भगवान संकर के तेज से, यमराज के तेज से केश सांध्य के तेज से भौहें, अग्रिम के तेज से नेत्र, वायु के तेज से कान , प्रजापति के तेज से दांत विष्णु और अन्य देवताओं के तेज से उस नौ साल की कन्या रूपी दुर्गा का जन्म हुआ। दुर्गा durgaa ने महिषासुर का वध कर पृथ्वी पर फिर से असत्य पर सत्य की विजय कायम की।
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