दीपावली का पर्व देश मे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दीवाली आने से पहले हम उसके लिए काफी समय पहले से तैयारियां करते हैं । फिर चाहे वो साफ सफाई हो या घर की रंगाई पुताई लगभग एक महीने पहले से हम इस त्योंहार की तैयारी में व्यस्त रहते है। त्यौहार के दिन लोग एक दूसरे के गिले सिकबे भूल एक दूसरे को त्यौहार की बधाइयां और मिठाई देते हैं।
प्रेम और मुहब्बत का पर्व है दिवाली
अक्टूबर या नवम्बर के महीने में आने वाला हर्षोल्लास का यह पर्व प्रेम और एकता का प्रतीक है। लोग पुराने गिले सिकबे भूलकर एक दूसरे के गले मिल एक दूसरे को दिवाली की बधाई देते हैं।
मिट्टी के दिए जलाकर मनाएं दीवाली
एक समय था जब लोग घरों में दिवाली के दिन मिट्टी के तेल के दिये जलाया करते थे। जिसका एक अपना अलग ही अस्तित्व हुआ करता था।तेल के दिये जलने से हमारे आसपास के वातावरण की अशुध्दियाँ नष्ट हुआ करती थी लेकिन समय के साथ साथ सबकुछ बदल गया। अपनी परम्पराओ को भूलकर अब चाइनीज आईटम को खरीदकर विदेशी वस्तुओं को बढाबा देने लगे । और अपनी पुरानी परम्पराओं को भूलने लगे।
प्रेम और मुहब्बत का पर्व है दिवाली
अक्टूबर या नवम्बर के महीने में आने वाला हर्षोल्लास का यह पर्व प्रेम और एकता का प्रतीक है। लोग पुराने गिले सिकबे भूलकर एक दूसरे के गले मिल एक दूसरे को दिवाली की बधाई देते हैं।
मिट्टी के दिए जलाकर मनाएं दीवाली
एक समय था जब लोग घरों में दिवाली के दिन मिट्टी के तेल के दिये जलाया करते थे। जिसका एक अपना अलग ही अस्तित्व हुआ करता था।तेल के दिये जलने से हमारे आसपास के वातावरण की अशुध्दियाँ नष्ट हुआ करती थी लेकिन समय के साथ साथ सबकुछ बदल गया। अपनी परम्पराओ को भूलकर अब चाइनीज आईटम को खरीदकर विदेशी वस्तुओं को बढाबा देने लगे । और अपनी पुरानी परम्पराओं को भूलने लगे।
Good thought
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