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May 5, 2020

मजदूरों के टिकट खर्च पर तेज हुई सियासत, खर्च कौन करेगा वहन| जानिए क्या है ? .........

कोरोना संक्रमण ( Coronaviurs ) के दौरन चल रहे देश व्यापी Lockdown पर प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेश तक पहुचने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा  चलये गए '' श्रमिक स्पेशल ट्रेन '' (Shramik Special Train )  के किराये ( Expenses )को लेकर देश में राजनितिक घमासान तेज हो गया | दरसल मजदूरों के टिकट ( Migrant laborers tickets )  को लेकर पार्टियों के द्वारा आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया |  
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आपको बता दें की कोरोना महामारी ( Coronavirus ) को देखते हुए केंद्र सरकार के द्वारा Lockdown 3.0 में Lockdown की अवधि को 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया है | इस समय लाखों मजदूर  दूसरे प्रदेशों में फसे हुए हैं  | इन मजदूरों की घर वापसी ( Workers return home )  को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं | प्रभासी मजदूरों की घर वापसी के लिए गृह मंत्रालय की गाइडलाइन ( Home Ministry Guide Line ) के बाद रेल मंत्रालय Ministry of Railway के द्वारा स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की गई | स्पेशल ट्रेन से घर वापसी के लिए मजदूरों को किराया चुकाना पड़ रहा है | ऐसे में विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है | कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सरकार पर हमला बोल आरोप लगते हुए विदेश में फसे लोगों के सरकारी खर्च पर देश में लाने की बात कही | लेकिन मजदुर जो देश की अर्थव्यवस्था की हड्डी हैं | इसे लेकर सोनिया गाँधी ने केंद्र सरकार का घेराब किया | 
               कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मजदूरों का रेल किराये को लेकर सवाल तो खड़े किये|  साथ ही लगे हाथों श्रमिकों की घर वापसी को लेकर खर्च होने वाला रेल किराया कांग्रेस पार्टी की तरफ से भुगतान किये जाने का ऐलान कर दिया  | उधर केंद्र ने जबाब में कहा  85 % रेल किराया तो केंद्र सरकार के द्वारा दिया जा रहा है | और वाकी 15 % राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जायेगा की बात कही

ट्रेन के किराये को लेकर विवाद क्यों ? 
जानब आप जानना चायेंगे की जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेन ( Shramik Special Train ) के खर्चे ( Expenses )  का भुगतान कर रहीं तो विवाद क्यों ? तो इसके लिए आपको बता दें की रेल मंत्रालय के द्वारा श्रमिक ( Migrant laborers ) को उनके प्रदेशों तक पहुँचाने के लिए 34 स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की गई है | यात्रा के लिए मजदूरों से स्लीपर क्लास Sleeper Class के आलावा 30 रुपये सुपर फ़ास्ट किराया और 20 रुपये अतिरिक्त लिए जा रहे हैं | सूत्रों के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ( Sramik special train )ट्रेन से घर जा रहे लोगों से 50 रुपये ज्यादा वसूले जा रहे हैं |   
                        यहाँ हम आपको कुछ ट्रेनों के नाम बताएँगे जहाँ जहाँ स्पेशल ट्रेन से यात्रा करने वाले लोगों से अतिरिक्त खर्च वसूला है | शनिबार को भिवंडी से गोरखपुर चली श्रमिक स्पेशल के लिए 800 रूपये लिए गए जबकि वास्तविक किराया 745 रूपये है | वहीँ पुरी से सूरत 710, अहमदाबाद से आगरा 250 और नाशिक से भोपाल 250 रूपये के के आलावा श्रमिकों ने 50 रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया 
railway letter copu
Indian Railway Letter copy
                        कुछ मिडिया समूह की रिपोर्ट के अनुशार ट्रेन यात्रा से जुड़ा एक लैटर सामने आया है | रेलवे द्वारा जारी लैटर में श्रमिकों से किराये वसूलने की बात की हैं | साथ ही रेलवे ने लैटर में लिखा हैं | यह ट्रेन आम लोगों के नहीं चलाई जा रहीं हैं | राज्य सरकारें ट्रेन श्रमिक स्पेशल ट्रेन से यात्रा कर रहे यात्रियों से किराया वसूल कर रेलवे को दें | 

Apr 27, 2020

Coronavirus Lockdown का बड़ा पॉजिटिव इफ़ेक्ट, भर गया Ozone परत के सबसे बड़ा छेद

Lockdown से भले है मानव जीवन को कठिनाइयों का सामना करना पड़  रहो | परन्तु प्रकृति के लिए यह वरदान  साबित हो रहा है | एक तरह से देखा जाए तो मानव जीवन में आये दिन प्रदूषण की समस्या का धीरे धीरे खात्मा हो रहा है | आपके आसपास की वायु कुछ हदतक प्रदूषण रहित हो चुकी  है | कम हुए प्रदूषण की बजह से Ozone परत ( Ozone Layer )  पर इतिहास का सबसे बड़ा छेद भर गया है | 
Ozone Layer

ओजोन परत  ( Ozone Layer ) पर कितना बड़ा छेद है ? 

प्रथ्वी को बाहरी हानिकारक किरणों से बचने वाली  Ozone Layer पर विज्ञानिकों ने दस लाख वर्ग किलोमीटर का छेद अप्रेल के शुरुआत में देखा था | विज्ञानिकों ने इसे इतिहास का सबसे बड़ा Ozone परत पर छेद बताया  था | गनीमत की बात यह थी की यह प्रथ्वी के दक्षीणी ध्रुव यानी अंटार्कटिक के ऊपर था | 

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क्या है ओजोन परत?

Ozone परत  ( Ozone Layer ) प्रथ्वी के वायुमंडल की एक परत है | ओजोन परत  ( Ozone Layer ) के कारण ही प्रथ्वी पर जीवन संभव है | उल्लेखनीय हो की ओजोन पर सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से प्रथ्वी की रक्षा करती है | सूर्य से आने वाली 93.99% पराबैंगनी किरणों का अवशोषण Ozone परत  ( Ozone Layer ) के द्वारा किया जाता है | ऐसी किरणें त्वचा कैंसर का प्रमुख कारण बनती हैं | यह प्रथ्वी की सतह के ऊपर वायुमंडल में 10-50 किमी में है |

Video देखने के लिए विडियो पर क्लिक करें 


Apr 19, 2020

कम मेडिकल सुविधा होने के बाद भी, कोरोना वायरस को मात दे रहा यह देश |



bhutane coronavirus update
Bhutan Gate 

इस समय दुनिया कोरोना महामारी के आगे घुटने टेक चुकी | वहीँ प्रिंट मिडिया और इलेक्ट्रॉनिक मिडिया पर पुरे दिन कोरोना वायरस या covid 19 ही दिखया जा रहा है | सुबह से लेकर शाम तक  कोरोना पर डिबेट चलते रहते हैं | कोरोना वायरस ने इतने लोगों की जान गई कोरोना से इतने लोग संक्रमित हुए | मीडिया करे भी क्यों नहीं क्योकिं दुनिया का प्रमुख मुद्दा इस समय कोरोना वायरस ही है | लेकिन कुछ मद्दे ऐसे भी हैं जिनपर डिबेट होना जरुरी है | भारत में covid 19 के  धीरे धीरे केस बढ़ रहें है या हमारे देश में covid19 के टेस्ट कम हो रहे हैं |  देश में कोरोना महामारी को रोकने के लिए मुख्य हथियार सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोरोना की स्क्रीनिग भी है | फ़िलहाल देश में कोरोना की स्क्रीनिंग बढाने की जरुरत है | हालाँकि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रेल को जनता को संबोंधित करते हुए देश में मेडिकल सुबिधाओं के बारे में भी बताया था |

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हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बतायेंगें जहाँ कम मेडिकल सुविधा होने के बाद भी कोरोना संक्रमण पर जीत हासिल कर रहा है |

जी हाँ आज आपको इसे देश के बारे में बता रहे हैं जो विश्व की सबसे छोटी अर्थव्यवस्था में से एक है | जिसका आर्थिक ढांचा कृषि , वन क्षेत्र पनबिजली है|  यहाँ मेडिकल की सुबिधायें भी बहुत कम हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी कम मेडिकल सुबिधाये होने के बावजूद भी कोरोनावायरस को मात देने में सक्षम है |

आपको बताने से पहले एक रहीम का दोहा याद आ गया |
"समय लाभ सम लाभ नहिं, समय चूक सम चूक
चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक"

आपको बतादें की भूटान, कोरोना वायरस को जन्म देने वाले चीन की सीमा से सटा हुआ  है | चीन की राजधानी बीजिंग से भूटान की राजधानी थिम्फू 2829 किलोमीटर है| दूसरी तरफ भारत और भूटान की सीमा भी एक दुसरे मिलती हैं | एक सवाल आपके मन में उठा रहा होगा की चीन के इतने पास होते हुए भी भूटान कोरोना से कम प्रभावित क्यों हुआ | इसका एक ही उत्तर है की समय रहते भूटान ने अपने यहाँ तैयारी शुरू कर दीं 5 March को भूटान में पहला केस, 20 मार्च को कोरना संक्रमण का दूसरा केस सामने आया दूसरा  केस
23 march मार्च को भूटान ने दुनिया से नाता तोड़ लिया, भूटान ने हवाई परिवहन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंद लगा दिया | वहीँ 30 मार्च को क्वारंटाइन का समय बढ़ाकर 14 दिन की जगह 21 दिन कर दिया |

और समय से  चीन में फंसे नागरिकों को भूटान में ला सका | वहीँ दूसरी तरफ चीन में आने जाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया | दूसरी तरफ भूटान में कुल आवादी के हिसाब से देखा जाए तो कोरोना स्क्रीनिंग पर भी तेजी से काम किया | लेकिन कुह विशेज्ञ यह भी मानते हैं की कि कोरोना संक्रमण रोकने का मुख्य कारण यहाँ की जनसख्या घनत्व का भी कम होना है |

इस समय दुनिया में देखा जाये तो भूटान संक्रमण के केसों की संख्या न मात्र है | विडियो बनाये जाने के तक भूटान में 5 संक्रमण के केस मिले हैं | वहीँ 2 संक्रमण केस  किये जा चुके हैं | मौतों के आंकड़ों की बात करें तो भूटान में अभी तक कोरोना संक्रमण से कोई जनहानि नहीं हुई है |



Apr 15, 2020

Coronavirus update - WHO Funding पर अमेरिका की रोक, पारदर्शिता न करने का आरोप

who funding cut by tramp

Covid19 ने वैसे तो समूचे विश्व में तबाही मचा हुई है | विश्व भर में Coronavirus संक्रमण के 77274 नए केसों को जोड़कर देखा जाये तो 1848439 कंफ़र्म केस हो चुके हैं वहीँ दूसरी तरफ 21972 लोग कोरोना संक्रमण की बजह से अपनी जान गवां चुके हैं | अगर सबसे ज्यादा आंकड़े देखे जाएँ तो वह अमेरिका में  है | अमेरिका में अब तक 553822 कोरोना संक्रमण के केस हो चुके हैं | USA में 29208 नए केस सामने आये है | 
       दरसल कोरोना वायरस महामारी के पीछे चीन का हाथ है | दुनिया या बात भली भांति जानती है की चीन ने coronavirus को दुनिया से छिपाया  था | वहीँ दूसरी तरफ चीन अपने यहाँ मरने वालों और संक्रमण के केसों के सही आंकड़े भी दुनिया के सामने नहीं दिए | ऐसे में विश्व में फैली इस महामारी का जिम्मेदार चीन ही है | चीन दुनिया के सामने अपनी गलती को मानाने को तैयार नहीं है | और दूसरी तरफ WHO ( World Helth Organegetion ) चीन की तरफदारी में लगा रहा और दुनिया के सामने पारदर्शित नहीं बरती | 

क्या आपको यह पढना चाहिए -


    दुनिया के सामने WHO की पारदर्शिता न वरतने के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'विश्व स्वास्थ्य संघठन' ( WHO ) की फंडिग पर रोक लगा दी है | ट्रंप ने WHO के द्वारा चीन की मदद के लिए उठाये कदमों को लेकर यह फैसला किया | आपको बतादें की पिछले कई सालों अमेरिका WHO को सबसे ज्यादा फंडिंग देता है | 

अमेरिका WHO को कितनी फंडिंग देता है -

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन दुनिया भर में स्वास्थ्य सम्बन्धी क्षेत्र को लेकर काम करता है | दुनिया के लगभग सभी देश WHO को फंडिंग देते हैं | एक शीधे तौर पर बात की जाये तो WHO विश्व में फैलने वाले रोग और उनके आंकड़ों में पारदर्शिता के लिए काम करता है| अमेरिका, जापान,रूस ,चीन, इटली और भारत के आलावा अन्य देश भी इसे फंडिंग देते हैं | पिछले कुछ बर्ष की बात करें तो अमेरिका लगभग 15% ( कुल फंडिंग ) का WHO को देता है | बर्ष 2019 में अमेरिका ने WHO को 400 मिलियन डॉलर भारतीय मुद्रा का करीबन 2800 करोड़ रुपये का आसपास फंडिंग दिया था | 


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