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Jun 21, 2020

Coronavirus Effect : अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस फैसले से भारत को लग सकता है बड़ा झटका ....

अमेरिकी नागरिकों की नौकरी बचने के लिए हो सकता है डोनाल्ड ट्रम्प का बड़ा फैसला 
H-1B और L-1 सहित सभी वीजा रद्द ( all visa cancelled ) करने पर लग सकती है मुहर 
अमेरिका में भारतीयों ( Job in America ) की नौकरी पर लग सकता है ग्रहण 
वीजा निलम्बन से ( all visa cancelled ) सबसे ज्यादा भारतीय होंगे प्रभावित 

जैसा की आपको पता कोरोना महामरी ने समूचे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है | संकरण तो ठीक था, लेकिन लोगों के सामने अब बेरोजगारी की समस्या की सबसे बड़ी चुनौती उभर कर सामने आई है | Coronavirus ( Covid 19 ) का सबसे ज्यादा effect अमेरिका में हुआ है | covid 19 तो ठीक था लेकिन संक्रमण के साथ की बेरोजगारी की मार में अमेरिका भी आ गया है | अमेरिकी नागरिकों की नौकरी बचने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प जल्द ही भारत को झटका दे सकते हैं | कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप एच-१बी ( H-1B ),L-1और अन्य वीजा को रद्द करने की योजना बना रहे हैं | मीडिया न्यूज़ के अनुशार जल्द ही राष्ट्रपति की Visa Cancel पर मुहर लग सकती है | 

H-1B Visa Canceled से भारत होगा प्रभावित 

यदि अमेरिका के द्वारा एच-1बी ( H-1B ) और L-1 VISA रद्द होने का फैसला लिया जाता है, तो यहाँ काम करने वाले भारतीयों को अपनी नौकरी गवांनी पड़ जाएगी | एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सूचना प्रधोगिकी पेशेवर इस वीजा की सबसे ज्यादा मांग रहती है | 

क्या है H-1B VISA ?

H-1B VISA गैर-आप्रवासी वीजा ( Non-immigrant visa ) है , जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों में शामिल करने के अनुमति देता है यानि इस VISA के अन्तर्गत यदि अमेरिकी कंपनियां किसी विदेशी व्यक्ति को नौकरी देना चाहती है तो कम्पनी में काम करने वाला इच्छुक व्यक्ति इस H-1B VISA को लेकर काम कर सकता है | भारत में ज्यादातर आईटी प्रोफेशनल्स H-1B VISA के साथ अमेरिका में काम कर रहे हैं | 

Apr 21, 2020

Coronavirus Affect : इतिहास में पहली बार कच्चे तेल ( Crude Oil price ) के भाव शून्य से भी नीचे |

Crude Oil Image

Coronavirus से इस समय दुनिया लड़ रही है | ऐसे में यातायात और उधोग कारखाने बंद है | विश्व में लॉक डाउन के हालत में है | कोरोना वायरस को हराने के लिए चल रहे lockdown के कारण ही तेल की खपत में कमी आई है | WTI ( अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट ) के अनुसार आज कच्चे तेल के प्राइस में  ( Crude Oil Price ) में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है |  WTI का वायदा भाव सोमबार को जीरो से भी नीचे -$ 3.70 प्रति बेरल के सबसे निचले स्तर पर पहुच गया है | यह अमेरिका के इतिहास में पहली बार हुआ है | 

क्या यह भी पढ़ना चाहिए- 


पेट्रोलियम का अमेरिका में भंडारण कितना है ?

अमेरिका में चल रहे LOCKDOWN के कारण पेट्रोलियम की मांग में कमी आई है | अमेरिका के पास कच्चे तेल का STOCK आवश्यकता के अनुशार LOCKDOWN को देखते हुए  पूरा  हो चूका है | आगे के उत्पादन के लिए जरुरी है कि पेट्रोलियम भंडारण की खपत की जाए|  अमेरिका के पास तेल रखने की जगह नहीं है | मई डिलीवरी के लिए व्यापारियों के पास अंतिम दिन मंगलवार है | जिन व्यापारियों के पास कच्चा तेल है | वे पेशकश कर रहें की उनके पास से ग्राहक Crude Oil ख़रीदे और उसके साथ ही वो $3.70 की राशि भी देंगें |  

कनाडा में तेल उत्पादकों का स्टॉक फुल 

अमेरिका ही नहीं कनाडा में भी तेल उत्पादकों के लिए सबसे बड़ी चिनौती उबार कर सामने खडी हो गई | एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक Oil Product का भाव भी फिसल कर निचले स्टार पर पहुँच गया | कनेडियन आयल और एनर्जी सेक्टर ने कनाडा सरकार से राहत के लिए मांग की है |
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे तेल उत्पादों की संख्या तेजी से वृद्दि हो रही है और आगे खपत कम |  तेल उत्पादों की वृद्दि को देखते हुए उन्हें रखने के लिए स्टोरेज की कमी हो रही है | 

Apr 18, 2020

क्या दुनिया से अलग हो जायेगा विश्व को दर्द देने वाला चीन



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विश्व को कोरोना महामारी का दर्द देने वाला चीन एशिया देशों से भले ही सम्बन्ध सुधाने की कोशिश कर रहा हो, परतुं चीन की चाल समझने में देश पीछे नहीं | चीन में कोरोना महामारी को एक लम्बे समय तक के लिए दबाया गया | हालंकि विश्व के सामने चीन ने सही आंकड़े तक नहीं बताये | वैस्वक स्तर पर फैली इस महामारी के आगे सारे देश पस्त हो चुके | इटली, अमेरिका , रूस , जापान, फ्रासं , ब्रेटन कोरोना महामारी से अपने नागरिकों की जान गवां चुके हैं | वहीँ covid 19 से भारत भी अछुता नहीं रहा हैं |  दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं है जहाँ कोरोना वायरस ने तांडव न किया हो |    

यह भी जानिए  - 



अमेरिका तो पहले ही चीन से खफा रहा है | चाहे वह ट्रेड बार हो या कोनोना युद्ध | अमेरिका चीन को  कोरोना वायरस का जिम्मेदार पहले से ही मान रहा है | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को पहले ही नुकशान की भरपाई की धमकी दे चुकें है | दूसरी तरफ अमेरिका ने चीन का साथ देने के आक्षेप में WHO की फंडिंग को भी रोक दिया है | वहीँ ब्रिटेन, फ़्रांस भी चीन से नाराज हैं | फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मेक्रों ने एक इंटरव्यू में चीन में कोरोना वायरस को लेकर जाँच हो इसके लिए कहा है | ब्रिटेन को मिली खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का फैलना वुहान की वह लेवोरेट्री ही बताया है | ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने भी कहा है की चीन ने जिस तरह से कोरोना से निपटा उसकी समीक्षा की जाँच हो | उधर जापान भी चीन के साथ धीरे धीरे व्यापारिक सम्बन्ध कम करने की सोच रहा है | एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जापान चीन में लगी अपनी कम्पनियों को वहां से भारत में शिफ्ट करने के लिए कहा है | भारत ने भी चीन पर निर्भरता कम करने के संकेत दिये हैं |
चीन ने पूरी दुनिया को भ्रम में रखा  दुनिया को कोरोना का दर्द देने के साथ ही अपने यहाँ जरुरी मेडिकल उपकरण और अन्य मेडिकल सुविधाओं की मेनुफेक्टुरिंग में लगा लगा रहा | ताकि समय पढने पर अन्य देशों को निर्यात कर सके,और एक अच्छा मुनाफा कमा सके | दुनिया के सभी देशों के द्वारा चीन से धीरे-धीरे व्यापारिक सम्बन्ध कम करने का आभास चीन को हो चूका है | विश्व चीन को हिराकत भरी निगाहों से देख रहा है | एक दूसरी बजह यह भी चीन अपने यहाँ हुए संक्रमण के केसों को दुनिया से छिपता रहा है | अमेरिका का मानना है की चीन कोरोना वायरस के जरिये कोई नई चाल चलने वाला था | दुनिया को अपने से अलग होता देख चीन ने परमाणु परीक्षण शुरू कर दिया है | उधर अमेरिका भी सेटेलाईट से मिली तस्वीरों से चीन की इस चाल को भांप गया | अमेरिकी सेटेलाईट ने दो दिन पूर्व चीन में परमाणु परिक्षण को कैद किया था | अमेरिका भी इससे में पीछे रहने वाला नहीं है | उसने अपने यहाँ युद्ध स्तर पर काम शुरू कर दिया है | 


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